मैं कौन हूँ अक्सर इस सवाल का जवाब ढूंढनें.. इक लंबी ड्राइव पर निकल जाता हूँ दिन हो या रात कहां ठहरता हूं कहीं.. बस इक धुन में इक सुद्ध में चलता चला जाता हूँ सवालों की झड़ी हर कदम दर कदम बिछी पड़ी है.. पर कुछ सवालों के जवाब यकीनन जान जाना चाहता हूँ मैं कौन हूँ क्या आईने में भी कभी मैं सच में ख़ुद को ढूंढ़ पाता हूँ बहुत कुछ सोचता हूं बहुत कुछ ठानता भी हूँ हर सुबह हर कदम सबकुछ दरकिनार करता चला जाता हूँ ख़ुद से भी कभी-कभी मैं कहां नज़रें मिला पाता हूँ अक्सर.. जवाब ढूंढनें इक लंबी ड्राइव पर निकल जाता हूँ मैं कौन हूँ क्या कभी ख़ुद को जान पाता हूं कभी ख़ुद से मिल भी पाता हूँ औरों से सुनाई देता हूँ बहुत अच्छा हूँ, कभी हो भी पाता हूँ सहर से शाम, शब से फज़र अक्सर ताक़ते गुज़ारता हूँ हम यहां कहां ख़ुद को मिल पातें हैं कभी ख़ुद को समझ भी पाता हूँ अक्सर.. जवाब ढूंढनें इक लंबी ड्राइव पर निकल जाता हूँ "मैं कौन हूँ" शब हो या फज़र वक्त को रोज़ गुज़ार ही जाता हूँ क्या जवाब दूं ख़ुद को बस ख़ामोश रह जाता हूँ मैं कौन हूँ मैं कौन हूँ अक्सर इस सवाल का जवाब ढूंढनें.. इक लंबी ड्राइव पर निकल जाता हूँ दिन हो या रात कहां ठहरता हूं कहीं.. बस इक धुन में इक सुद्ध में चलता चला जाता हूँ सवालों की झड़ी हर कदम दर कदम बिछी पड़ी है.. पर कुछ सवालों के जवाब यकीनन जान जाना चाहता हूँ