' होली ' तो बस हो ली। पहले तन रंगा, फिर मन रंगा, आखिर में रंग गयी जींदगानी रे । फागुन की मस्ती में सब कुछ भूला, मस्त हो गए रंगों की रवानी में। क्या तेरा, क्या मेरा, क्या रखा है, इन झूठी लड़ाई में, मन के मैल, मलाल हो चले थे, घोल दिये सब रंगों की रंगाई में। मैं भूला हूँ, तुम भी भूलो, गुजरे समय की नादानी को, आज होली का दिन कहता है, जला दो बीती कहानी को। *व्योम* बहुत जी लिये अपने खातिर, अब अपनों की खातिर जीना है, कुछ बडप्पन से जी कर देखें, वर्ना जीना भी क्या जीना है। #Color