बिखरी यादों का बोझ लेकर, जी रहे हैं तन्हाइयों के सहारे, हमारी हकीक़त कब ख़्वाब बन गई, इस नादान दिल को पता ही नहीं चला। जब कोई किरदार दस्तक देता है हमारी जिंदगी में, तो वो सुनहरी यादें लेकर आता है, और फिर जब वह हमें तन्हा छोड़कर जाता है, तो पीछे बिखरी यादों का संदूक देकर जाता है। इंसान जब टूटता है तो, थोड़े दिनों में संभल भी जाता है, अपने अतीत से आगे भी बढ़ जाता है, लेकिन किसी अपने की यादें वो कभी भुला नहीं पाता। बिखरी यादों को अपनी जिंदगी का, एक हिस्सा मानकर जी रहे हैं हम आज, और उसके किरदार को जिंदगी का, एक बुरा ख़्वाब मान कर भूल रहे हैं हम आज। -Nitesh Prajapati ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1034 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।