बड़ी सुर्ख़ियों में रही उनके भीगे ज़माल की बातें वो आँखों से भी कहती थी मगर कोई पढ़ न सका कमाल की बातें बड़े सितमगर उसूल उनके जो घूँघट में बाँध दी हद्द-ए-बीनाई पहले बे - उसूल किया करते थे जो निगाहों से मेरे हलाल की बातें होंठ सिर्फ़ दो और प्यास में इक अथाह समंदर उतरा हुआ मुझे तू मिजहों में कर कैद फिर होने दे गर होती है बवाल की बातें रंग-ए-तिलाई से लेप कर ढ़ाले है खुदा ने जिनके ख़द्द-ओ-ख़ाल न पूछो तारीफ-ए-हुस्न उनके आगे फीकी सारी मिसाल की बातें चिलमन के पश्च रू-ए-दिलबर, सामने दीदार के सवाल की बातें चल आँखें खोल आफताबी वो शर्मा-शर्मी थी सिर्फ़ खयाल की बातें ज़माल- सुन्दरता, हुस्न हद्द-ए-बीनाई- limit of eye sight मिजह- पलकें रंग-ए-तिलाई- सोने का रंग ख़द्द-ओ-ख़ाल- features, physique पश्च- पीछे रू-ए-दिलबर - face of beloved