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छठ पर्व हर साल आता है माँ तुम भी आओ न देखो न बा

छठ पर्व हर साल आता है 
माँ तुम भी आओ न 
देखो न 
बाजार में आ गये हैं
गन्ना केला नींबू अन्नानास 
अरसा का पत्ता 
सब है माँ
मैने गेहूं भी साफ कर 
छत पर डाल दिया है 
और बैठा हूँ
डंडा लेकर 
जैसे तुम बैठती थी 
जूठा न कर दे कोई 
पक्षी 
तुम आ जाती मां 
दऊरा में प्रसाद भरने 
मुझे ही तो लेकर जाना है 
घाट पर 
नंगे पांव पैदल 
मां तुम कब आओगी 
वो देखो सूरज भगवान 
निकलने वाले है 
आसमान रक्तिम आभा लिये 
दस्तक दे रहा है 
अर्घय देने का पल आ गया 
सब तो हैं
बस तुम नही हो माँ। 
संजय श्रीवास्तव 



 छठ मैया
छठ पर्व हर साल आता है 
माँ तुम भी आओ न 
देखो न 
बाजार में आ गये हैं
गन्ना केला नींबू अन्नानास 
अरसा का पत्ता 
सब है माँ
मैने गेहूं भी साफ कर 
छत पर डाल दिया है 
और बैठा हूँ
डंडा लेकर 
जैसे तुम बैठती थी 
जूठा न कर दे कोई 
पक्षी 
तुम आ जाती मां 
दऊरा में प्रसाद भरने 
मुझे ही तो लेकर जाना है 
घाट पर 
नंगे पांव पैदल 
मां तुम कब आओगी 
वो देखो सूरज भगवान 
निकलने वाले है 
आसमान रक्तिम आभा लिये 
दस्तक दे रहा है 
अर्घय देने का पल आ गया 
सब तो हैं
बस तुम नही हो माँ। 
संजय श्रीवास्तव 



 छठ मैया