ख्वाबों से ये कैसा नाता हो गया, जिसको देखो वो शख़्स पराया हो गया, एक दीवार थी उसके और मेरे घर के बीच में, वो जो टूटी तो उसको लगता है घर हमारा हो गया, अभी भी मैं और तुम पर अटकी है वो, उसे लगता है जैसे निगा़ह हमारा हो गया, रोज़ रखती है रोजा और मन्नत भी मांगती है, देखो तो वो शख़्स कितना ज़्यादा मेरा हो गया, एक दीया चुपके से मंदिर में भी जलाती है, कहती है जो भी हो अब तो तू मेरा हो गया। ख्वाबों से ये कैसा नाता हो गया, जिसको देखो वो शख़्स पराया हो गया, एक दीवार थी उसके और मेरे घर के बीच में, वो जो टूटी तो उसको लगता है घर हमारा हो गया, अभी भी मैं और तुम पर अटकी है वो, उसे लगता है जैसे निगा़ह हमारा हो गया,