हे कृष्ण!तुझसे प्रीत की ये कैसी कहानी है? कहीं रसखान पागल है, कहीं मीरा दीवानी है| कहीं बंशी की धुन सुन नाचते हैं मोर मधुबन में| कहीं तेरे जन्म पर उत्सव मने मथुरा -बृंदावन में, कवि सूरदास तुझमें मग्न हो कविताएँ कहता है| कोई तेरा भक्त नरसी है जो तुझमें लीन रहता है| करुण पुकार सुनकर द्रोपदी की, तुम दौड़े चले आओ| साडी का चीर बढ़ाकर उस अबला की लाज बचाओ| तुम मित्र सुदामा की गठरी से मुट्ठीभर चावल लेते हो| मित्र की पीड़ा हर लेते हो, त्रिलोक उसे दे देते हो| कुरुक्षेत्र रण में अर्जुन के रथ के सारथी थे तुम| दिलाया राज्य पांडव को, स्वयं नि: स्वार्थी थे तुम| देवकी कोख से जन्में, पले यशोदा पालने में तुम| किसी राधा के मोहन तुम, किसी मीरा के माधव तुम| *मौलिक एवं स्वरचित * #NojotoQuote #कृष्णलीला