Nojoto: Largest Storytelling Platform

हे कृष्ण!तुझसे प्रीत की ये कैसी कहानी है? कहीं रस

हे कृष्ण!तुझसे प्रीत की ये कैसी कहानी है? 
कहीं रसखान पागल है, कहीं मीरा दीवानी है|
कहीं बंशी की धुन सुन नाचते हैं मोर मधुबन में|
कहीं तेरे जन्म पर उत्सव मने मथुरा -बृंदावन में, 
कवि सूरदास तुझमें मग्न हो कविताएँ कहता है|
कोई तेरा भक्त नरसी है जो तुझमें लीन रहता है|
करुण पुकार सुनकर द्रोपदी की, तुम दौड़े चले आओ|
साडी का चीर बढ़ाकर उस अबला की लाज बचाओ|
तुम मित्र सुदामा की गठरी से मुट्ठीभर चावल लेते हो|
मित्र की पीड़ा हर लेते हो, त्रिलोक उसे दे देते हो|
कुरुक्षेत्र रण में अर्जुन के रथ के सारथी थे तुम|
दिलाया राज्य पांडव को, स्वयं नि: स्वार्थी थे तुम|
देवकी कोख से जन्में, पले यशोदा पालने में तुम|
किसी राधा के मोहन तुम, किसी मीरा के माधव तुम|

*मौलिक एवं स्वरचित *

 #NojotoQuote #कृष्णलीला
हे कृष्ण!तुझसे प्रीत की ये कैसी कहानी है? 
कहीं रसखान पागल है, कहीं मीरा दीवानी है|
कहीं बंशी की धुन सुन नाचते हैं मोर मधुबन में|
कहीं तेरे जन्म पर उत्सव मने मथुरा -बृंदावन में, 
कवि सूरदास तुझमें मग्न हो कविताएँ कहता है|
कोई तेरा भक्त नरसी है जो तुझमें लीन रहता है|
करुण पुकार सुनकर द्रोपदी की, तुम दौड़े चले आओ|
साडी का चीर बढ़ाकर उस अबला की लाज बचाओ|
तुम मित्र सुदामा की गठरी से मुट्ठीभर चावल लेते हो|
मित्र की पीड़ा हर लेते हो, त्रिलोक उसे दे देते हो|
कुरुक्षेत्र रण में अर्जुन के रथ के सारथी थे तुम|
दिलाया राज्य पांडव को, स्वयं नि: स्वार्थी थे तुम|
देवकी कोख से जन्में, पले यशोदा पालने में तुम|
किसी राधा के मोहन तुम, किसी मीरा के माधव तुम|

*मौलिक एवं स्वरचित *

 #NojotoQuote #कृष्णलीला