क्या होती है ख़ुशी सब भुलते जा रहे है क्या होती है ख़ुशी सब भुलते जा रहे है स्वार्थ मे डूबकर सच्ची ख़ुशी खोते जा रहे है माया मे फसकर अपनों को खोते जा रहे है क्या होती है ख़ुशी सब भुलते जा रहे है .... छोटी- छोटी खुशियों को कुचलते जा रहे है लड़ाई - झगड़े का स्वागत करते जा रहे है मशीन रूपी जीवन जीते जा रहे है क्या होती है ख़ुशी सब भुलते जा रहे है ..… मन की शांति खोकर , तनाव बढ़ाते' जा रहे है बड़ो के सानिध्य से वंचित होते जा रहे है मोबाइल को ही अपना मानते जा रहे है क्या होती है ख़ुशी सब भुलते जा रहे है ....... पहचानो असली खुशी को वक़्त निकलने से पहले ये वक़्त तो है रेत का ढेर अभी नहीं सम्ब्ले तो हो जाएगी देर रहो हमेशा कूल -कूल जैसे खिलते बगिया मे फूल-फूल yakshita Jain research scholar History # my poem when I was in 9 th class