पामाल हो ना जाएं कहीं जी हुज़ूर में हाकिम सुरूर में हैं मुलाज़िम गुरूर में। हैरत है कायनात के मुंसिफ को ना दिखा अंतर कुसूरवार में और बेकुसूर में । कल रात एक गरीब कि बिटिया चली गई साहब जी अब भी मौन हैं अपने फ़ितूर में। काहे का रामराज औ कैसा निज़ाम-ए-नौ लो खुल के ये भी आ गए अपने शुऊर में । - Ambrish पामाल: Ruin मुंसिफ: Magistrate फ़ितूर: Obsession निज़ाम-ए-नौ: New system (government) शुऊर: Perception, Consciousness ©Ambrish Thakur #askambrish #drkumarvishwas #savehumanity #rapevictim