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ambrishthakur5021
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Ambrish Thakur

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Ambrish Thakur

जश्न-ए-भारत.. अन्तर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन एवं मुशायरा।

#वाराणसी #varanasi #mushaira #kavi #Shayar

जश्न-ए-भारत.. अन्तर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन एवं मुशायरा। #वाराणसी #varanasi #mushaira #kavi #Shayar #शायरी

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Ambrish Thakur

तमन्ना है की भूल जाऊं 
वो गुजरा साल पूरा
वो हादसों में गुजरी शाम 
और बवाल पूरा
वो दिन जो खौफ के पहरे में उगा करते थे
और रात सर्द सन्नाटे में बीत जाती थी
अमन के नाम पर होती थी 
रोज जंग नयी
इंसानियत भी हैवानों के गीत गाती थी

ये  नया साल 
वो सारे गम भुला सके न सके
अपनी खुशियों से दिल के दर्द 
मिटा सकता है
भले न दे ये मुझको 
मेरी मंजिल बेशक
मगर मंजिल का रास्ता तो 
दिखा सकता है
मुझको उस राह का राही तो बना सकता है !!

नए वर्ष की अनन्त शुभकामनाएं 💖💖

#HappyNewYear2021

©Ambrish Thakur #happynewyear2021
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Ambrish Thakur

छोटे कद का बड़ा आदमी,
हर मुश्किल से लड़ा आदमी।
दुनिया के आगे भारत का ,
परचम ले कर खड़ा आदमी।।

जय जवान का नारा देकर
वो सबकी उम्मीद बना था।
जय किसान कह देना उसका
नैतिकता की नींव बना था।

असमय हमको छोड़ गया था, 
सोने से भी खरा आदमी ।
छोटे कद का बड़ा आदमी,
हर मुश्किल से लड़ा आदमी।।

©Ambrish Thakur #LalBahadurShastri #BestPMever #india #jayjawanjaykisan #askambrish
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Ambrish Thakur

पामाल हो ना जाएं कहीं जी हुज़ूर में
हाकिम सुरूर में हैं मुलाज़िम गुरूर में।

हैरत है कायनात के मुंसिफ को ना दिखा
अंतर कुसूरवार में और  बेकुसूर में ।

कल रात एक गरीब कि बिटिया चली गई
साहब जी अब भी मौन हैं अपने फ़ितूर में।

काहे का रामराज औ कैसा निज़ाम-ए-नौ
लो खुल के ये भी आ गए अपने शुऊर में ।

- Ambrish

पामाल: Ruin  मुंसिफ: Magistrate  फ़ितूर: Obsession
निज़ाम-ए-नौ: New system (government)  
शुऊर: Perception, Consciousness

©Ambrish Thakur #askambrish #drkumarvishwas #savehumanity  #rapevictim
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Ambrish Thakur

पिता घर की छत है तो मां नींव है दीवार है
बेटे दरवाजे हैं इसके खिड़कियां हैं बेटियां।।

©Ambrish Thakur #HappyDaughtersDay2020
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Ambrish Thakur

समंदर के किनारे से 
कभी उस पार देखो
नज़र आती है बस 
नीली सी एक लकीर
यूं लगता है 
समंदर आसमां से मिल रहा है..
या साहिर अमृता से...

मगर ये ख्वाब है बस
वो सपनों की बस एक नीली लकीर है
हकीक़त है तो बस इतनी
वो चाहें भी तो मिल सकते नहीं हैं..

समंदर आसमां से 
और 
ना साहिर अमृता से.. !!

© ambrish

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Ambrish Thakur

उम्मीदों के आंगन में हालत की आंधी से चाहत के बुझते दिए देखता हूं
अब तो टेलीविजन पर मैं मौसम की खबरों में तुमको बदलते हुए देखता हूं

महीनों से दिन रात आती हुई हिचकियां भी तो अब कम सी होने लगी हैं
तुम्हारे तसव्वुर में मैं अपनी यादों की आमद को घटते हुए देखता हूं

तुम्हें क्या पता है कि क्यूं अमरीका और कोरिया में सुलह हो गई है
मैं इसमें भी अपनी मुलाकात का ख्वाब तामीर होते हुए देखता हूं।।

उम्मीदों के आंगन में हालत की आंधी से चाहत के बुझते दिए देखता हूं अब तो टेलीविजन पर मैं मौसम की खबरों में तुमको बदलते हुए देखता हूं महीनों से दिन रात आती हुई हिचकियां भी तो अब कम सी होने लगी हैं तुम्हारे तसव्वुर में मैं अपनी यादों की आमद को घटते हुए देखता हूं तुम्हें क्या पता है कि क्यूं अमरीका और कोरिया में सुलह हो गई है मैं इसमें भी अपनी मुलाकात का ख्वाब तामीर होते हुए देखता हूं।। #Shayari

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Ambrish Thakur

आज फिर तू पास नहीं है
तेरे होने का अहसास नहीं है
बहुत मुश्किल है यूं तो भूलना तुझको
फिर भी कहता हूँ कि तू याद नहीं है

कभी गुजरी थीं जो रातें
तेरे पहलू में सर रख कर
अब इन रातों में उन रातों में अंतर खास नहीं है
तू तब भी ख्वाब थी मेरा
तू अब भी एक तसव्वुर है
मगर पहले से अब तेरे मेरे ज़ज्बात नहीं हैं

© Ambrish
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Ambrish Thakur

कोई 
दरीचा खुले
या उन्हें हंसी आए
किसी तरह तो 
इस कमरे में रौशनी आए।। #madhyamsaxena
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Ambrish Thakur

 कोई दरीचा खुले या उन्हें हंसी आए
किसी तरह तो इस कमरे में रौशनी आए।।

कोई दरीचा खुले या उन्हें हंसी आए किसी तरह तो इस कमरे में रौशनी आए।।

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