चाहे लाख मुफ्लिसियत हो पर ख़ुद्दारी से कोई समझौता नहीं, भले ही भूखे मर जाएंगे मगर धंधा-ए-खेरात हमसे होता नहीं। चाहे लाख #मुफ्लिसियत हो पर #ख़ुद्दारी से कोई #समझौता नहीं, भले ही #भूखे मर जाएंगे मगर #धंधा_ए_खेरात हमसे होता नहीं। "राही"