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मन को तृप्त करती बारिश की बूंदों में बादलों के पा

मन को तृप्त करती बारिश की बूंदों में
 बादलों के पानी के साथ - साथ
 आंखों में कैद बरसों का पानी भी बाहर निकलने को उमड़ता है,,
 मन के कोने में दबी भावनाओं के द्वंद से 
आंखों के रास्ते बाहर निकल जाने को
 दिल की पीड़ाओं का शैलाब,,,
 मन की कुंठाओं का दरिया ,, 
दुनिया की नजरो से बचते बचाते बह निकलता है,,
ओर बादलों, धरती ,, पानी के साथ साथ,,
 खुद भी
 किसी एक छोटे से हल्के से एहसास से
 रोने लगता है,,,
 लोगो से बेखबर,,,, 
ओर उनके साथ होते हुए भी,,
उनसे कोसों दूर,,
एकांत में 
जहां किसी को भी आने की मनाही होती है,,,
जहां दूसरे उसे ना देख पाते हैं ना जान पाते है,,,
बस एक असीम कृद्न होता है,, 
खामोशी होती है,,, सब कुछ शांत ,, ढहरा हुआ,,,,,.....

©Rakesh frnds4ever
  #बारिश 
#मन  को तृप्त करती बारिश की बूंदों में #बादलों  के पानी के साथ - साथ #आंखों  में कैद बरसों का पानी भी बाहर निकलने को उमड़ता है,, मन के कोने में दबी #भावनाओं  के #द्वंद्व  से आंखों के रास्ते बाहर निकल जाने को दिल की पीड़ाओं का #शैलाब ,,, मन की कुंठाओं का दरिया ,, #दुनिया  की नजरो से बचते बचाते बह निकलता है,,ओर बादलों, #धरती  ,, पानी के साथ साथ,, खुद भी किसी एक छोटे से हल्के से एहसास से रोने लगता है,,, लोगो से बेखबर,,,, ओर उनके साथ होते हुए भी,,उनसे कोसों दूर,,एकांत में जहां किसी को भी आने

#बारिश #मन को तृप्त करती बारिश की बूंदों में #बादलों के पानी के साथ - साथ #आंखों में कैद बरसों का पानी भी बाहर निकलने को उमड़ता है,, मन के कोने में दबी #भावनाओं के #द्वंद्व से आंखों के रास्ते बाहर निकल जाने को दिल की पीड़ाओं का #शैलाब ,,, मन की कुंठाओं का दरिया ,, #दुनिया की नजरो से बचते बचाते बह निकलता है,,ओर बादलों, #धरती ,, पानी के साथ साथ,, खुद भी किसी एक छोटे से हल्के से एहसास से रोने लगता है,,, लोगो से बेखबर,,,, ओर उनके साथ होते हुए भी,,उनसे कोसों दूर,,एकांत में जहां किसी को भी आने #ज़िन्दगी #खामोशी

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