फ़रहदे कभी मेरी भी शादाब हुआ करती थी, जब हृदय सींचती नजरे तेरी तालाब हुआ करती थी; अब किश्तों में क्या बखान करें पूर्ण ख़ारिज़ दास्ताँ को, कभी इक फरिश्ते की नगरी में धड़कनें मेरी नवाब हुआ करती थी! वरक़ हुआ चूनर कब तक छुपाये नैनों का खारापन, ये चूनर कभी इक बदन का लिबाज़ हुआ करती थी; मेरे काव्य लहज़े पर आपकी भावनाएं लरज़ न जाये जरा संभलना, अब है रेगिस्तानी तो क्या, कभी ये कविता पूरा पंजाब हुआ करती थी ! फरहद- खुशी #surajaaftabi #yqbaba #yqdidi #love #shayari #poetry #yqhindiurdu