कुछ कहे कुछ अनकहे.. "किस्से" खुशियाँ दे जाते है.. कुछ छूए कुछ अनछुए.. "एहसास" सुकून दे जाते है.. सवालों के घेरे में अक्सर.. कभी हम अकेले रह जाते है.. जज्बात सदा दिल के... बस दिल में ही रह जाते है.. कैसे कहें किससे कहें.. कोई शख्स नजर नहीं आता.. घिर जाते स्व अहंकार से जब.. कोई रास्ता नजर नहीं आता... स्वरचित :- मुकेश राठौड़ अनछुए एहसास...