शीर्षक - "बेटियां "। पवित्र मन, सच्चा कर्म, कोमल हृदय की होती है बेटियां। संघर्षों से लड़ झगड़ कर, सदा अपने हक को पाती है बेटियां। क्यों बंधी है जाती धर्म समाज में, कब तक अबला नारी कहलाएगी बेटियां। न कुछ बिगाड़ा है जाती धर्म समाज का, फिर क्यों टूटती बिलखती रोती है बेटियां। पिता भाई के प्रेम में, खुद को भुला देती है अक्सर। फिर भी आज कोख़ में, ही दफ़न रह जाती है बेटियां। जब कोई मुसीबत, परिवार पर आए सदा अपनो को बचाती है बेटियां। ©Navin Charpota #beti #बेटियां_कम_नहीं #deedarealfaj #Banswarablog #bonding