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आशुतोष शिव स्तुति स्त्रोत्रं धरेंद्र नंदिनीस्य,

आशुतोष शिव स्तुति स्त्रोत्रं

धरेंद्र  नंदिनीस्य, गंग त्रिजटास्य, शोभितम भुजंग  पिंगले |
तांडव प्रताडितम, चन्द्र शेखरम, दग्ध कराल भाल कपिले |
हिम खंड दंडितम,  प्रकृति विघटनम, प्रचंड गंगा प्रवाहिते  |
केदार रक्षिते, तांडव रचिते,  सदा  शिवम् भजिते   भजिते ||

रचियेता: सुरेश चौधरी'इंदु' शिव स्तोत्रं
आशुतोष शिव स्तुति स्त्रोत्रं

धरेंद्र  नंदिनीस्य, गंग त्रिजटास्य, शोभितम भुजंग  पिंगले |
तांडव प्रताडितम, चन्द्र शेखरम, दग्ध कराल भाल कपिले |
हिम खंड दंडितम,  प्रकृति विघटनम, प्रचंड गंगा प्रवाहिते  |
केदार रक्षिते, तांडव रचिते,  सदा  शिवम् भजिते   भजिते ||

रचियेता: सुरेश चौधरी'इंदु' शिव स्तोत्रं