सूखे फूल हैं हाथों में प्यार का मौसम चाहा था, उसने ज़ख्म दिये हमको जिस से मरहम चाहा था, अबके ओस की बूंदों ने भी दिल में आग लगायी है, दिल पे किसी ने दस्तक दी है तुम हो या फिर मेरी ही तन्हाई है..... बरसो बाद ना जाने क्या समा होगा हम दोनो में से ना जाने कौन कहा होगा, फिर मिलना हुए तो मिलेंगे खब्बों में जैसे सूखे गुलाब मिलते है किताबों में.... #yaadien #keepmuskurana