आज तो बस शुरूआत हुई, जो कोमल फूलों की कलियों से है, ये यादें, वादे, प्यार, वफा तो बस महबूब की गलियों से है। मन में उठती हैं लहरे जो मिलने के सपनों से है। आज गुलाब से प्रेम बना जो उपवन के तितलियों से है। ये प्रेम यू ही महकेगा, जैसे रोज गुलाब में खुशबू है। ©राजेश कुशवाहा आज तो बस शुरूआत हुई, जो कोमल फूलों की कलियों से है, ये यादें, वादे, प्यार, वफा तो बस महबूब की गलियों से है। मन में उठती हैं लहरे जो