संसद में आग लगी सांसद सोने लगे, ये देख जन जाने क्यूं खुश होने लगे, भगवान अब ज्यादा खाके ऊंघने लगे, शायद इंसान भी मौका सूंघने लगे, अब तो बकरी भी है शेर का मांस नोचते, ये क्या उलटा पुल्टा हो गया सोचते सोचते। मंदिर शमशान का रूप ले कर खड़ी हो गई, मस्जिदों पे भी लोगो की नजर बुरी हो गई, गिरजों में हर कहीं आगजनी का बड़ा खेद है, गुरुद्वारे भी निशाने पे है ये किसका भेद है, ये किसका इल्जाम जाने किसपर है थोपते, ये क्या उलटा पुल्टा हो गया सोचते सोचते। एक अजब दंगा सड़कों पे छिड़ चुका था, सारे ईकाई दहाई से आपस में भिड़ चुका था, सारे जगह का माहौल खौफ से डरा हुआ था, जाने क्यूं मैखाना लोगो के कदमों से सना हुआ था, मैंखाने में बैठ हम भगवान को ही है कोसते, ये क्या उलटा पुल्टा हो गया सोचते सोचते। प्रेम का पाठ अब इनको कौन पढ़ाएगा, अन्हिंसा का मतलब अब कौन समझाएगा, इनको होश में दुश्मन और नशे में दोस्त मिलते है, शाम को मैखाने में ही अमन शांति के फूल खिलते है, हम खुद सब उलट देते है और सदैव गलत है सोचते, फिर कहते है की उलटा पुल्टा हो गया सोचते सोचते। कभी कभी करते कुछ हैं हो जाता है कुछ अपनी कोई उल्टी-पुल्टी कहानी लिखें। #उल्टापुल्टा #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine