To My Love Devanshi, आखिर कब तक तुम अपने आप से झूठ बोलना बंद करोगी, आखिर कब तक तुम यूंही अपने आप से दूर दूर भागती रहोगी। कोई तो ऐसा लम्हा रहा होगा तुम्हारा जो तुम हमसे छुपा रही होगी, पर ना जाने कब तुम हमारे दिल के अरमानों को समझोगी। दिन और रात ढलते जा रहे हैं कि कब तुम वो बातें हमसे करोगी, नहीं छोड़ा जा सकता हमें कि कब तुम हमें यूंह पागलों की तरह सताएगी।