ख़ामोश हैं लब क्योंकि छुपे थे लफ्ज़, आँखों में अश्रु अपार है क्योंकि दर्द बेशुमार है। जिंदगी भी मायूस हुई मुझसे और तोल दिया तन्हाई के तराजू मे, और अरमान बहे मेरे, अश्कों के समुद्र में। मैंने भी थामा ख़ामोशी का हथियार, और छोड़ दिए ख़ामोशी के अल्फाज़ । ❤ प्रतियोगिता- 463 ❤आज की ग़ज़ल प्रतियोगिता के लिए हमारा विषय है 👉🏻🌹"ख़ामोश हैं लब "🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I