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#OpenPoetry मेरे अल्फाजों में हर बार अपना ही अक़्स

#OpenPoetry मेरे अल्फाजों में हर बार अपना ही अक़्स क्यूं ढूंढा करते हो?
जाओ कोई और काम कर लो मुझे क्यूं बदनाम करते हो?
मैं राही हूं अलग रास्तों का मेरी फ़ितरत है बंजारा।
क्यूं हर बार मेरे रुकने का इंतजाम करते हो?
बड़ा मामूली सा शायर हूँ मेरी अदना सी हस्ती है।
क्यूं मेरा नाम ले लेकर मुझे दुनिया मे मशहूर करते हो।
मेरा नही है क़ुसूर कुछ भी ये मेरे हालातों का असर है,
तुमको नही पता कुछ फिर क्यूं मुझे परेशान करते हो?
और चाहते हो मुझको पाना तो मुझे अपना लो पूरे का पूरा।
क्यूं इस तरह किश्तों किश्तों में तुम मुझे खुदा से मांगा करते हो? #OpenPoetry
#OpenPoetry मेरे अल्फाजों में हर बार अपना ही अक़्स क्यूं ढूंढा करते हो?
जाओ कोई और काम कर लो मुझे क्यूं बदनाम करते हो?
मैं राही हूं अलग रास्तों का मेरी फ़ितरत है बंजारा।
क्यूं हर बार मेरे रुकने का इंतजाम करते हो?
बड़ा मामूली सा शायर हूँ मेरी अदना सी हस्ती है।
क्यूं मेरा नाम ले लेकर मुझे दुनिया मे मशहूर करते हो।
मेरा नही है क़ुसूर कुछ भी ये मेरे हालातों का असर है,
तुमको नही पता कुछ फिर क्यूं मुझे परेशान करते हो?
और चाहते हो मुझको पाना तो मुझे अपना लो पूरे का पूरा।
क्यूं इस तरह किश्तों किश्तों में तुम मुझे खुदा से मांगा करते हो? #OpenPoetry