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बुला रही है मौत मैं उधर जाऊँ क्या?? कशमकश में

बुला रही है मौत
मैं उधर जाऊँ क्या??

कशमकश में हूँ ज़िंदगी और मौत तेरे
मैं मर जाऊँ क्या??

ज़िंदा रहा तो दर्द होगा, नाम होगा
कैसे, क्यूँ, किसलिए, दर्द को हबीब बनाऊँ क्या??

चार दिन तो तुम आओगे मेरे रक़ीब-ओ-रफ़ीक़
इसीलिए कब्र में उतर आऊँ क्या??

बुरा हुँ मैं, शायद, इसीलिए, दर्द में हुँ मैं
छोड़ो ना बुराइयों को, अच्छाइयाँ बताऊँ क्या??

दर्द बताऊँगा तो तुम हँसोगे 
चेहरे पर चेहरा मैं भी लगाऊँ क्या??

ये दर्द मेरे है, ये तन्हाईयाँ मेरी है
छोड़ो तुम, मैं मर जाऊँ क्या??

~ अनुज सुब्रत मैं मर जाऊँ क्या....|Mai Mar jaaun Kya....|~Anuj Subrat |

हबीब :- दोस्त
रक़ीब :- दुश्मन

रफ़ीक़ :- दोस्त
रक़ीब-ओ-रफ़ीक :- दुश्मन और दोस्त
बुला रही है मौत
मैं उधर जाऊँ क्या??

कशमकश में हूँ ज़िंदगी और मौत तेरे
मैं मर जाऊँ क्या??

ज़िंदा रहा तो दर्द होगा, नाम होगा
कैसे, क्यूँ, किसलिए, दर्द को हबीब बनाऊँ क्या??

चार दिन तो तुम आओगे मेरे रक़ीब-ओ-रफ़ीक़
इसीलिए कब्र में उतर आऊँ क्या??

बुरा हुँ मैं, शायद, इसीलिए, दर्द में हुँ मैं
छोड़ो ना बुराइयों को, अच्छाइयाँ बताऊँ क्या??

दर्द बताऊँगा तो तुम हँसोगे 
चेहरे पर चेहरा मैं भी लगाऊँ क्या??

ये दर्द मेरे है, ये तन्हाईयाँ मेरी है
छोड़ो तुम, मैं मर जाऊँ क्या??

~ अनुज सुब्रत मैं मर जाऊँ क्या....|Mai Mar jaaun Kya....|~Anuj Subrat |

हबीब :- दोस्त
रक़ीब :- दुश्मन

रफ़ीक़ :- दोस्त
रक़ीब-ओ-रफ़ीक :- दुश्मन और दोस्त
anujsubrat6240

Anuj Subrat

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