जब अंधकार उठकर सूरज का गला दबाये जब नभ में पापों के ही बादल मंडराए जब झूठ भरे बाज़ार सत्य की इज़्ज़त नोंचे जब कोई बहन बेटी सकुशल घर को ना आये तब साहित्य संभाले अपनी बागडोर फिर तोड़ तिमिर का दंभ, प्रजा की आंखे खोले जन-जन में नव ऊर्जा का संचार कराए काश मैं इन हाथों से कुछ ऐसा लिख जाऊं काश मैं इन हाथों से कुछ ऐसा कर जाऊं #nojoto #sahitya #bharatpuriya #भरतपुरिया #हिंदी #hindi