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धीमी गति सी जिंदगी आज रंग कितने लयी है, पहरे में स

धीमी गति सी जिंदगी आज रंग कितने लयी है,
पहरे में सो कर भी ख्वाहिशों का पर फैलाई है,
लाख लकीरों के पीछे बांध के रखा है मैंने इसको,
इसने हर बार मुक्त होने को आवाज लगाई है,
इस जिंदगी का हर एक लम्हा हैरतअंगेज है,
यहां अनचाही मंजिल की धूप बड़ी तेज है।

पहरों पर पहरा पार कर प्रेम से प्रीत और प्रगाढ़ हो जाता है,
सरसरी शोर एवं समूचे स्वर से ऊंची पुकार कर जाता है,
हम सारे स्वरों को वर्णों से कुंठित रखने कि चेष्टा करते है,
पर हरबार समर्पित ये हर सम्मान को सहर्ष निलाम कर जाता है,
ये इश्क़ हर मोड़ शर्मिंदगी से लबालब लबरेज़ है
यहां अनचाही मोहोबतों की धूप बड़ी तेज है।

 'धूप बहुत तेज़ है'

तुम्हारे बग़ैर यह सफ़र रेगिस्तानी लगता है। 
न कोई पेड़ न कोई सराय उस पर मुश्किलों की ये तेज़ धूप। 

Collab करें YQ Didi के साथ।

#धूपतेज़है
धीमी गति सी जिंदगी आज रंग कितने लयी है,
पहरे में सो कर भी ख्वाहिशों का पर फैलाई है,
लाख लकीरों के पीछे बांध के रखा है मैंने इसको,
इसने हर बार मुक्त होने को आवाज लगाई है,
इस जिंदगी का हर एक लम्हा हैरतअंगेज है,
यहां अनचाही मंजिल की धूप बड़ी तेज है।

पहरों पर पहरा पार कर प्रेम से प्रीत और प्रगाढ़ हो जाता है,
सरसरी शोर एवं समूचे स्वर से ऊंची पुकार कर जाता है,
हम सारे स्वरों को वर्णों से कुंठित रखने कि चेष्टा करते है,
पर हरबार समर्पित ये हर सम्मान को सहर्ष निलाम कर जाता है,
ये इश्क़ हर मोड़ शर्मिंदगी से लबालब लबरेज़ है
यहां अनचाही मोहोबतों की धूप बड़ी तेज है।

 'धूप बहुत तेज़ है'

तुम्हारे बग़ैर यह सफ़र रेगिस्तानी लगता है। 
न कोई पेड़ न कोई सराय उस पर मुश्किलों की ये तेज़ धूप। 

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#धूपतेज़है
sbhaskar7100

S. Bhaskar

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