बातों से नाराज़ हो मेरी, ख्वाबों से भी किस बात की दूरी है, तुम शख्स अच्छे हो, फिर ऐसी भी क्या मजबूरी है, रिश्ते बनते है फिर यूंही टूट जाते है, साथ कुछ पल का होता है फिर सब पीछे छूट जाते है, मुझसे नाराज़ होना तो बता देना मुझे, ख़ुद की ज़िंदगी का ना कोई इंतिहान लेना। बातों से नाराज़ हो मेरी, ख्वाबों से भी किस बात की दूरी है, तुम शख्स अच्छे हो, फिर ऐसी भी क्या मजबूरी है, रिश्ते बनते है फिर यूंही टूट जाते है, साथ कुछ पल का होता है फिर सब पीछे छूट जाते है,