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"श्रृंगार रस" सजती संवरती हूंँ मे तेरे लिए ओ पिय

"श्रृंगार रस" 

सजती संवरती हूंँ मे तेरे लिए ओ पिया,
तेरे नाम का ही सिंदूर पूरती हूंँ ओ पिया।

बालों में फूलों की माला तेरे ही लिए सजाती हूंँ,
ताकि उसकी खुशबु से तु खींचे आए मेरे करीब ओ पिया।

तेरे ही लिए तो सजा के रखती हूं घर का आँगन,
एक बार आजा पिया मेरे आँगन को पवित्र करने।

इस बारिश के मौसम में मोहे भीगना है तेरे संग,
सुनकर मेरे अंतरात्मा की पुकार पूरी कर जा मेरी तमन्ना। 

तेरे मिलन की आस में पल-पल तड़पू में, 
लेकिन फिर भी बावरी होकर फिर से नयी आश बांधू मे। 
 रचना क्रमांक :-1

#kkकाव्यमिलन
#कोराकाग़ज़काव्यमिलन
#काव्यमिलन_1
#विशेषप्रतियोगिता
#collabwithकोराकाग़ज़
#कोराकाग़ज़
"श्रृंगार रस" 

सजती संवरती हूंँ मे तेरे लिए ओ पिया,
तेरे नाम का ही सिंदूर पूरती हूंँ ओ पिया।

बालों में फूलों की माला तेरे ही लिए सजाती हूंँ,
ताकि उसकी खुशबु से तु खींचे आए मेरे करीब ओ पिया।

तेरे ही लिए तो सजा के रखती हूं घर का आँगन,
एक बार आजा पिया मेरे आँगन को पवित्र करने।

इस बारिश के मौसम में मोहे भीगना है तेरे संग,
सुनकर मेरे अंतरात्मा की पुकार पूरी कर जा मेरी तमन्ना। 

तेरे मिलन की आस में पल-पल तड़पू में, 
लेकिन फिर भी बावरी होकर फिर से नयी आश बांधू मे। 
 रचना क्रमांक :-1

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