तेरी छवि को निहारा तो ऐसा लगा मानो चंदा ने तारे है पहने हुए, तेरे नैनो को देखा स्वयम ने कहा नैना गहनों को जैसे है पहने हुए, शीप को इक गुज़ारिश है बारिश की पर आंख से न हो बारिश ये मेरा कथन, आंख तारो के जैसी चमकती रहे इक यही है गुज़ारिश जो करता "अमन" जीत की इस पहल में है सब दौड़ते इश्क़ में तू सदा पर जो हारी रहे, तू उसे छोड़ दे मैं उसे छोड़ दूं मैं तुम्हारा रहूं तू हमारी रहे।। स्वप्न में इक जो चेहरा सदा छेड़ता कहता रहता है मुझसे तुम्हारी हूँ मैं, इश्क़ के इस भवर में हूँ बिल्कुल नई ,एक दीवानी सी पागल बेचारी हूँ मैं, पर मैं कैसे कहू इक बेचारा स मैं दिल का मासूम थोड़ा कुंवारा स मैं, प्रेम की इक उपासक शिवानी सी तुम,प्रेम का एक अभिजीत तारा स मैं, रोज़ बाणों की वर्षा हो दिल पे मेरे,और दिल की मेरे तू शिकारी रहे, तू उसे छोड़ दे मैं उसे छोड़ दू मैं तुम्हारा रहूँ तू हमारी रहे। खैर संवरा था चंदा तुझे देख कर और सूरज भी शरमाया था रात भर, और सितारों ने की थी शिकायत बहुत जा के थोड़ा स उनसे भी तो बात कर, रात जुगनू ने कानो में कह ही दिया कौन है ये जो हमसे चमकदार है, ये की जिसके जिसम पे है मोहक बहुत दिल्ली वाला ये मीना का बाजार है, हां नही है मोहब्बत मगर क्या हुआ तुझको पाने की कोशिश तो जारी रहे, तू उसे छोड़ दे मैं उसे छोड़ दूं मैं तुम्हारा रहूँ तू हमारी रहे।