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यूं पहुंच के मुकाम पर,जिसे तुम जन्नत बता रहे हो,

यूं पहुंच के मुकाम पर,जिसे तुम जन्नत बता रहे हो, 
वहाँ के परिंदों में मुटभेड़ होती है,जिसे तुम इन्सान बताते हो,
और क्या ख़बर हैं तुम्हें यहां की,क्या बताऊं कितना दुःख होता है,
जब जन्नत को कोई सरेआम जलाता है,हांँ अब शर्म से सर झुक जाता है,
जब कोई इसके बन्द होने पर खुश बताया जाता है,
अब राजनीतिक का ही बस खेल यहां खेला जाता है,
भगवान यहां के सारे व्यस्त है,पता नहीं परिंदों को तालीम कौन सिखाता है,
कुछ ऊंचा क्या उड़ लेते है गुमान इनको बहुत आता है,
गुरु ख़ुद को समझने लगते है, जैसे इन्हें सब कुछ आता हैं,
हां हक़ जताना अग्रज एक कर्तव्य हो जाता है,
पर उन्हें तमीज से ये रिश्ता निभाना कहां आता है,
अनुज अब बोझ समझते है अग्रज और अनुज के रिस्ते को,
पता नहीं हमारे समय में कैसे कोई उन्हें अपना आदर्श बताता था,
उनके लिए हर मुमकिन काम करने को तैयार हो जाता था,
दिल से बहुत ज्यादा सम्मान रखा जाता था,
अब तो सरेआम शोर मचाया जाता है,
10वीं में जैसे उन्हें प्रिंसिपल का प्रमाणपत्र दिया जाता है,
शिक्षक रोक लगाने की हर मुमकिन कोशिश अपनाते हैं,
पर बोलो कहीं पागल हाथी को कोई साधारण आदमी तालीम दे पाता है,
और माहौल अब ओर क्या ख़राब होगा?
जब आपके जन्नत में पूरी पुलिस फौज आते हैं,
अब और क्या सुनाऊं, दिल और आखें दोनों भर आते है,
चलों जाता हूं, अब मुझे संभालने को मैं किसी और को बुलाता हूं। CALL BACK TO THE NAVODAYA.....

My respected seniors Bhaiya and Didi...
    A humble request to u regarding the Navodaya vidayalaya....
A haven which is going to extent from this world..
No one is think about it. All are busy in their life with their busy daily schedule..

I am a student of JNV Supaul and I recently pass class 12th from JNV Supaul.Navodaya is not that what you think, it becomes a ground of war between seniors and juniors, politics of teachers and a place where food has great imp
यूं पहुंच के मुकाम पर,जिसे तुम जन्नत बता रहे हो, 
वहाँ के परिंदों में मुटभेड़ होती है,जिसे तुम इन्सान बताते हो,
और क्या ख़बर हैं तुम्हें यहां की,क्या बताऊं कितना दुःख होता है,
जब जन्नत को कोई सरेआम जलाता है,हांँ अब शर्म से सर झुक जाता है,
जब कोई इसके बन्द होने पर खुश बताया जाता है,
अब राजनीतिक का ही बस खेल यहां खेला जाता है,
भगवान यहां के सारे व्यस्त है,पता नहीं परिंदों को तालीम कौन सिखाता है,
कुछ ऊंचा क्या उड़ लेते है गुमान इनको बहुत आता है,
गुरु ख़ुद को समझने लगते है, जैसे इन्हें सब कुछ आता हैं,
हां हक़ जताना अग्रज एक कर्तव्य हो जाता है,
पर उन्हें तमीज से ये रिश्ता निभाना कहां आता है,
अनुज अब बोझ समझते है अग्रज और अनुज के रिस्ते को,
पता नहीं हमारे समय में कैसे कोई उन्हें अपना आदर्श बताता था,
उनके लिए हर मुमकिन काम करने को तैयार हो जाता था,
दिल से बहुत ज्यादा सम्मान रखा जाता था,
अब तो सरेआम शोर मचाया जाता है,
10वीं में जैसे उन्हें प्रिंसिपल का प्रमाणपत्र दिया जाता है,
शिक्षक रोक लगाने की हर मुमकिन कोशिश अपनाते हैं,
पर बोलो कहीं पागल हाथी को कोई साधारण आदमी तालीम दे पाता है,
और माहौल अब ओर क्या ख़राब होगा?
जब आपके जन्नत में पूरी पुलिस फौज आते हैं,
अब और क्या सुनाऊं, दिल और आखें दोनों भर आते है,
चलों जाता हूं, अब मुझे संभालने को मैं किसी और को बुलाता हूं। CALL BACK TO THE NAVODAYA.....

My respected seniors Bhaiya and Didi...
    A humble request to u regarding the Navodaya vidayalaya....
A haven which is going to extent from this world..
No one is think about it. All are busy in their life with their busy daily schedule..

I am a student of JNV Supaul and I recently pass class 12th from JNV Supaul.Navodaya is not that what you think, it becomes a ground of war between seniors and juniors, politics of teachers and a place where food has great imp
alexakash4915

alex akash

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