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श्री गजानन हिँय धरौं, सुमिरूँ शारदा माय। यह पाती

 श्री गजानन हिँय धरौं, सुमिरूँ शारदा माय। 
यह पाती अति गोप है,  बांचियो ह्रदय लगाय।।

वीरन मेरे पहिचानियो ,यामेंही प्रीति अपार ।
केहू दिन राखी ना मिले दूजे घर सम्हारात।। 
जानियो ना बंधन सूत को, एतनोही संदेस रखो सम्हारि ।।
सखा तुम्हहिं हौं का कहउँ, तू दीपक हौं  छाँह।
जिम जिम ज्योति लौ लसे, जिमि तम तल गेहराहि।।  " मैं परायी कब हुई"
जियत राम को नाम ल्यूँ, मरत राम के धाम।
जब लौं ये जीवन चले राखूँ दया धरम को मान।।

कशी में विश्वनाथ बसें, द्वारे नंदी संग।
मथुरा मेरे कृष्ण की, बरसाने राधारंग ।।

श्री गजानन हिँय धरौं, सुमिरूँ शारदा माय।
 श्री गजानन हिँय धरौं, सुमिरूँ शारदा माय। 
यह पाती अति गोप है,  बांचियो ह्रदय लगाय।।

वीरन मेरे पहिचानियो ,यामेंही प्रीति अपार ।
केहू दिन राखी ना मिले दूजे घर सम्हारात।। 
जानियो ना बंधन सूत को, एतनोही संदेस रखो सम्हारि ।।
सखा तुम्हहिं हौं का कहउँ, तू दीपक हौं  छाँह।
जिम जिम ज्योति लौ लसे, जिमि तम तल गेहराहि।।  " मैं परायी कब हुई"
जियत राम को नाम ल्यूँ, मरत राम के धाम।
जब लौं ये जीवन चले राखूँ दया धरम को मान।।

कशी में विश्वनाथ बसें, द्वारे नंदी संग।
मथुरा मेरे कृष्ण की, बरसाने राधारंग ।।

श्री गजानन हिँय धरौं, सुमिरूँ शारदा माय।