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सावन की हरी-हरी चूड़ियाँ सावन की हरी-हरी चूड़ियाँ

सावन की हरी-हरी चूड़ियाँ

सावन की हरी-हरी चूड़ियाँ,
सजें हथेली पर हर बार।
बजती हैं जब ये चूड़ियाँ,
मन में उठे प्रेम का ज्वार।

हरी-हरी ये चूड़ियाँ प्यारी,
बोलें जैसे सतरंगी बात।
बजतीं जब सावन की रातें,
करतीं हृदय को प्रफुल्लित साथ।

झूले पड़े पेड़ों की डालों पर,
पवन संग झूमें चूड़ियाँ।
हरी-हरी इनकी मधुर धुन,
भर दे मन में नई उमंगियाँ।

सावन की फुहारों में चमकें,
हरी चूड़ियों की खिलखिलाहट।
हर खनक में रस घुले,
हर रंग में प्रेम की आहट।

प्रियतम संग जब चलें,
बजतीं ये चूड़ियाँ निरंतर।
हरी-हरी सावन की चूड़ियाँ,
प्रेम की निशानी सुंदर।

बारिश की बूंदें गिरें,
चूड़ियों की आवाज में मिले।
सावन की हरी-हरी चूड़ियाँ,
प्रेम के बंधन में बंधे।

©kbkiranbisht
  hari hari chudiyan.
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hari hari chudiyan. #कविता

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