भाग-2) ग़ज़ल इससे पहले कि तुम बेवफ़ा हो जाओ, मुझसे रू-ब-रू एक दफा हो जाओ। हमने ही किया था आगाज़-ए-सफर, गर हो कोई गुरेज तो अलविदा हो जाओ। सोहबत में तेरी अरसा है बीत गया, खल रहा है इश्क़ तो यूं जुदा हो जाओ। तेरे लिए सदा से है खाली कोना-ए-दिल, सुलह होते ही फिर से दिलरुबा हो जाओ। तेरी पनाहगाह में है घना अंधेरा मगर, रोशनी मयस्सर नहीं तुम शमा हो जाओ। अधूरी सी रह गई कुछ इश्क़ की तिश्नगी, जाम मयस्सर नहीं तू मयकदा हो जाओ। तुझसे जुदाई का मुझे बे-तहाशा दर्द है, इस लाइलाज मर्ज़ की तू दवा हो जाओ। इस दास्तां-ए-प्यार भी है मुकम्मल नहीं, मुझसे रफ्ता-रफ्ता बे-राब्ता हो जाओ। इससे पहले कि तुम बेवफ़ा हो जाओ, मुझसे रू-ब-रू एक दफा हो जाओ। #आगाज़_ए_सफर #सोहबत #कोना_ए_दिल, #दिलरुबा #बे_तहाशा #रफ्ता_रफ्ता #बे_राब्ता #erotica_hindi First part is pinned in my profile.....