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Priti Dwivedi

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Priti Dwivedi

मत कहना अब बात ना होगी
मर कर भी मुलाकात ना होगी
अब ना आओगे ये मत बताना,
बस चले जाना।
ना कहो हमारा प्यार हारेगा
कोई और साथ में आएगा
उन एहसासों को कभी मत मिटाना,
बस चले जाना।
जाना तो कहना आओगे
उम्र भर साथ निभाओगे
जाने की तरह मत जाना
बस चले जाना।
उम्मीद सीने में रहने देना
इंतज़ार में आंखे रखने देना
विदा मुझे तुम मत करना
बस चले जाना
जाना जरूरी है अब रोकूंगी नहीं
चाहूंगी उम्र भर पर कुछ बोलूंगी नहीं
तुम पूछोगे 'जाऊं 'तो मर जाउंगी
पागल हो जाऊ या कुछ कर जाउंगी
जाने की बात कभी मत करना,
बस चले जाना।

-प्रिति द्विवेदी

©Priti Dwivedi #election_2024
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Priti Dwivedi

White अपना प्यार दर्द दूसरों का मज़ा लगता है
ढाई अक्षर का इश्क़ फिर सजा लगता है
इतिहास गवाह है कि इससे कोई बचा नहीं अब तक
फिर भी ये आवारगी,खुदगर्जी,बेइज़्ज़ती और दगा लगता है।

मोहब्बत को कटघरे में खड़ा करते है लोग अक्सर
जब अपने और अपनों पर आती है तब हालात पता लगता है।

ताजुब है इश्क़ करने वाले भी इश्क़ समझते नही
बिछड़ने के दर्द से हमदर्दी रखते नही
खरोंच तक किसी को आती नही फिर भी सबकों ये जफ़ा लगता है।

मोहब्बते-ए-ज़ख्म पर  मरहम नही मिर्च लगाते है लोग जानकर
अब तो आँशु,तन्हाई,बेचैनी और तकलीफें इस ज़ख्म का दवा लगता है।


-प्रिति द्विवेदी

©Priti Dwivedi #sad_shayari
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Priti Dwivedi

White जिसे पाया नहीं पल भर के लिए,
उसके खो जाने से डरती हूँ।

मेरा तो कभी वो था ही नहीं
किसी और का हो जाने से डरती हूँ।

दिल में तो अब वही है उसी को मैं पूजती हु,

ये अरमान पूरे हो जाए पर
किस्मत के सो जाने से डरती हूँ।

- प्रिति द्विवेदी(29/05/2024)

©Priti Dwivedi
  #sunset_time
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Priti Dwivedi

Blue Moon हालात कुछ यूँ है कि रातों में नींद और यादो
 के बीच एक युद्ध चलता है जिस दिन नींद पहले
आ जाती उस दिन याद नहीं आती और जिस
दिन याद पहले आ गयी तो दिन नहीं आती।

©Priti Dwivedi #bluemoon
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Priti Dwivedi

टूटा हुआ इंसान

समेट लेता है ख्वाहिशों को
और भूल जाता है अभिमान,
इंसान कहा रह जाता है
एक टूटा हुआ इंसान।

आँशुओ का घूँट पी पी कर 
सागर बन जाता है।
छिपा सके हर गम जिसमें
वह चादर बन जाता है।
आंखों का पानी पोछ कर
मुस्कुराना सिख जाता है
हर परिस्थिति और हर हाल में
खुद को ढालना सिख जाता है

हस्ती तो मिट जाती है
बस बच जाती है एक जान,
इंसान कहाँ रह जाता है 
एक टूटा हुआ इंसान।

औरों के मुस्कान के पीछे छिपा दर्द पढ़ लेता है,
अपने जीवन को दूसरों के लिए समर्पण कर देता है।
ईर्ष्या-स्पर्द्धा छोड़ सबका हमदर्द बन जाता है,
अपनों की जिम्मेदारियाँ उसका फ़र्ज़ बन जाता है

'मैं' और 'हम' का भेद समझ
पा लेता है आत्म- ज्ञान,
इंसान कहा रह जाता है 
एक टूटा हुआ इंसान।

©Priti Dwivedi
  #aaina
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Priti Dwivedi

https://youtu.be/DuKBXOiFxAY

https://youtu.be/DuKBXOiFxAY #कविता

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Priti Dwivedi

#Nachdi
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Priti Dwivedi

for full poetry click on the link
 
https://youtu.be/vwge0cXyIhQ

#Poetry #BreakUp #brokenheart #cheated #alone #moveon

for full poetry click on the link https://youtu.be/vwge0cXyIhQ #Poetry #BreakUp #brokenheart #cheated #alone #moveon #कविता

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Priti Dwivedi

for full poetry click on the link...
https://youtu.be/vwge0cXyIhQ 


#Poetry #sadpoetry #brokenheart #alone #moveon #BreakUp #pain #tears #cheated #Dhoka komal sindhe Rana Mukul Singh Ashok Kumar Ashok Kumar Parvinder kamlsh

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Priti Dwivedi

शीर्षक -खुद को थोड़ा पहचानने लगी हूँ










इस भाग-दौड़ भरी ज़िन्दगी में
जब रुककर
ख़ुद को ख़ुद से मिलाने लगी हूँ।
लगता है अब जाकर मैं-
ख़ुद को थोड़ा पहचानने लगी हूँ।
प्रतिस्पर्द्धा भरे इस जीवन में
जब आत्मसाध में लगने लगी हूँ।
समझ आ गया व्यर्थ था सब
अब मैं ख़ुद में खुश रहने लगी हूँ।
अरे! बेकार है दुःख
       बेकार है चिंता
       बेकार है वो जीवन,जिसमें
मैं ख़ुद को दूसरों जैसा बनाने लगी हूँ।
लगता है अब जाकर मैं
ख़ुद को थोड़ा पहचानने लगी हूँ।
अपने उपहास को सुनकर हँसती हूँ,
और दूसरों के कारण रोना छोड़ने लगी हूँ।
अपनों के साथ बातचीत में ही
अपनी सारी खुशियाँ ढूढ़ने लगी हूँ।
अरे!बेकार है फ़ोन
      बेकार है व्हाट्सएप
      बेकार अब FB को मानने लगी हूँ।
लगता है अब जाकर मैं
ख़ुद को थोड़ा पहचानने लगी हूँ।

©Priti Dwivedi #zindagikerang
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