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Saket Ranjan Shukla
एक साधारण लेखक के तौर पर अत्याधिक प्रसन्नता और बड़े ही गर्व के साथ मैं पेश करता हूँ “काव्य Saga (बोलती कविताओं का संग्रह)" जो कि मेरे द्वारा #author #bookstagram #my_pen_my_strength #newbook #स्याहीकार #booklaunch #काव्यSaga #बोलतीकविताओंकासंग्रह
read moreVikas Sahni
White आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है पर सुंदर नहीं लग रही है न नहाने-खाने के कारण स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण चिढ भी रही है वह। होकर नाराज़ नभ देख रही है और मैं उसकी आँखों में देखते-देखते दस बजे सजे पुस्तक-पन्नों के शब्दाें को फेसबुक; व्हाट्सएप; इंस्टाग्रामादि पर सजा रहा हूँ, "प्रसन्न बच्चों की आवाज़ें सर्वत्र गूँज रही हैं; सभी के लिए यह दिवा मेहमान है, पतंगों से सजा आसमान है, जिसकी ओर कविता का भी ध्यान है और उसकी ओर मेरा ध्यान है। लाल-पीली; हरी-नीली-पतंगें युद्ध-खेल खेल रही हैं अनंत आसमानी पानी और बादलों के बगीचे में मैंने देखा उन्हें कविता की आँखों से भरी पड़ी प्रत्येक छत है, प्रत्येक पतंग प्रतिस्पर्धा में रत है, कई किन्हीं इशारों पर नाच रही हैं, कई मुक्ति पाने-जाने के लिए छटपटा रहीं हैं, पिन्नी वाली फटी फटफटा रही हैं, कई मुक्त हुए जा रही हैं पश्चिम से पूर्व की ओर मस्ती में ठुमका लगाते हुए जा रही हैं अपने लक्ष्य की ओर तो कई कैदी बने रो रही हैं पक्के धागे के पिंजरे में, जिस प्रकार पक्षी (पतंग) अपने अंग-अंग को पटकते हैं पिजरे में बड़ी बेरहमी से फिर कविता की आँखों की नमी से पूछा मैंने कि क्या हुआ इससे आगे, क्या टूट गये वे सारे धागे? कविता ने कहा, "टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी पतंगों के धागे, टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी भिन्न-भिन्न रंगों के धागे। है आवश्यक अभी कि काश टूट जाते बुराई के धागे!!" . ...✍️विकास साहनी ©Vikas Sahni #पतंगों_के_प्रति आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है पर सुंदर नहीं लग रही है न नहाने-खाने के कारण स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण चिढ
#पतंगों_के_प्रति आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है पर सुंदर नहीं लग रही है न नहाने-खाने के कारण स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण चिढ
read moreARTI DEVI(Modern Mira Bai)
White मुहर्रम के मौके पर पढ़े पवित्र पुस्तक “मुसलमान नहीं समझे ज्ञान कुरान"। #AlKabir_Islamic #SaintRampalJi ©ARTI DEVI(Modern Mira Bai) #Paris_Olympics_2024 #love_shayari #लव #शायरी #कविता #viral #Love #कॉमेडी मुहर्रम के मौके पर पढ़े पवित्र पुस्तक “मुसलमान नहीं समझे ज्ञान कु
#Paris_Olympics_2024 #love_shayari #लव #शायरी #कविता #viral Love #कॉमेडी मुहर्रम के मौके पर पढ़े पवित्र पुस्तक “मुसलमान नहीं समझे ज्ञान कु #भक्ति #SaintRampalJi #AlKabir_Islamic
read moreRavendra
परिषदीय विद्यालयों का डीएम ने किया औचक निरीक्षण बीएसए को विद्यालयों की जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के दिये निर्देश बहराइच परिषदीय विद् #वीडियो
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परिषदीय विद्यालयों का डीएम ने किया औचक निरीक्षण बीएसए को विद्यालयों की जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के दिये निर्देश बहराइच परिषदीय विद् #वीडियो
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परिषदीय विद्यालयों का डीएम ने किया औचक निरीक्षण बीएसए को विद्यालयों की जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के दिये निर्देश बहराइच परिषदीय विद् #वीडियो
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White हज़रत मुहम्मद जी ने भी पाप कर्म दंड झेला! पुस्तक- जीवनी हज़रत मुहम्मद (सल्लाहु अलैहि वसल्लम के पृष्ठ 46, 51-52, 64, 307-315) में प्रमाण है कि हज़रत मुहम्मद जी ने बचपन में यतीमी का दुःख देखा। उनके तीनों पुत्रों की मृत्यु हो गई तथा स्वयं हज़रत मुहम्मद जी की भी 63 वर्ष की उम्र में असहाय बीमारी से तड़फ तड़फ कर मृत्यु हुई। पाप कर्म दंड तो सिर्फ अल्लाह कबीर की सच्ची इबादत करने से ही समाप्त हो सकतें है। #AlKabir_Islamic #SaintRampalJi ©ARTI DEVI(Modern Mira Bai) #CAT #love_shayari #लव #शायरी #कविता #viral #Love #कॉमेडी हज़रत मुहम्मद जी ने भी पाप कर्म दंड झेला! पुस्तक- जीवनी हज़रत मुहम्मद (सल्लाहु अल
#CAT #love_shayari #लव #शायरी #कविता #viral Love #कॉमेडी हज़रत मुहम्मद जी ने भी पाप कर्म दंड झेला! पुस्तक- जीवनी हज़रत मुहम्मद (सल्लाहु अल #भक्ति #SaintRampalJi #AlKabir_Islamic
read moreGoluBabu
#कैसे_बना_जगन्नाथजी_का_मंदिर जगन्नाथ मंदिर जाने से पहले जानें यह रहस्य समुद्र बार बार जगन्नाथ मंदिर को तोड़ रहा था और विष्णु जी से प्रतिशोध ल #Bhakti
read moreDevesh Dixit
शब्द (दोहे) शब्द मिलें जब भी मुझे, करता यही विचार। क्या बखान अब मैं करूँ, पूरे हों उद्गार।। जोड़-जोड़ कर शब्द को, देता मैं आयाम। राज हृदय में वह करे, हो मेरा भी नाम।। जन जन तक पहुँचे कभी, ये मेरे अरमान। पुस्तक का मैं रूप दूँ, शब्दों में उत्थान।। शब्दों की माया बड़ी, ये सबको अनुमान। कुछ इससे हैं सीखते, पाते भी सम्मान।। गलत तरीके से करें, शब्दों का उपयोग। होता भी नुकसान है, कब समझेंगे लोग।। झगड़ों का कारण यही, अब समझो नादान। शब्दों का यह जाल है, कहते सभी सुजान।। शब्दों से जो खेलते, उनको ही है बोध। उचित चयन उसका करें, करते देखो शोध।। ....................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #शब्द #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry शब्द (दोहे) शब्द मिलें जब भी मुझे, करता यही विचार। क्या बखान अब मैं करूँ, पूरे हों उद्गार।।
#शब्द #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry शब्द (दोहे) शब्द मिलें जब भी मुझे, करता यही विचार। क्या बखान अब मैं करूँ, पूरे हों उद्गार।। #Poetry #sandiprohila
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