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Manku Allahabadi
Late Night Conversations कभी कभी लगता है, ये फ़ोन बस बना ही है तुम्हारे लिए तेरे स्टेटस आज भी याद है , जो तूने लगाये थे हमारे लिए बस हरदम तेरे मैसेज और कॉल का इंतज़ार रहता है, तू वापस आएगी,आज भी दिल बार बार यही कहता है मैंने तो तुझे ब्लॉक करके तुझसे बातें कीं है तेरी नादानियाँ और बचपना तू चैट हिस्ट्री मैं जी है चैट हिस्ट्री #chathistory #latenightconversation #love #memories
चैट हिस्ट्री #chathistory #LateNightConversation #Love #Memories #कविता
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आप सभी को सन्नी बंसल का प्यार भरा सादर जय श्री श्याम
आप सभी को सन्नी बंसल का प्यार भरा सादर जय श्री श्याम #nojotophoto
read moreKUNDAN KUNJ
@_नशा _@ नशा तो हर कोई करता है, कोई drinking तो कोई smoking करता है। मुझे भी शोक है उस नशे का, जो मुझे दूसरों से अलग करता है।। #NojotoQuote ##नशा # कृपया इसे शब्दों से जोड़ने का यत्न न करे। इनके भाव को समझने का प्रयत्न करें।। तब आपको इसकी मिस्ट्री नजर आयेगी, तब मेरे इल्म
##नशा # कृपया इसे शब्दों से जोड़ने का यत्न न करे। इनके भाव को समझने का प्रयत्न करें।। तब आपको इसकी मिस्ट्री नजर आयेगी, तब मेरे इल्म
read moreSanjeev Kumar Bansal
मेरी कविता: संजीव कुमार बंसल 1 *उड़ान अभी बाकी है* कभी बोलने की कीमत चुकाता है आदमी तो कभी चुप रहने की सजा पाता है आदमी। कभी ज़माने से नज़रें चुराता है आदमी, तो कभी सागर की भी लहरें झुकाता है आदमी। देर से ही सही, पर ध्वजा अपनी लहराकर, एक पहचान बनाता है आदमी। सही राह दिखाकर औरों को, आंखों में सबकी, आशा की ज्योति जलाता है आदमी। कभी बोलने की कीमत चुकाई हमने, तो कभी चुप रहने की सजा पाई हमने। कभी ज़माने से नज़रें चुराई हमने, तो कभी सागर की भी लहरें झुकाई हमने। देर से ही सही, पर ध्वजा अपनी लहराकर, एक पहचान बनाई हमने। सही राह दिखाकर औरों को, आंखों में सबकी, आशा की ज्योति जलाई हमने। सब वक्त वक्त की बात है हुज़ूर, क्योंकि बुरा वक्त भी यकीनन- देता है आपको मौका भरपूर, अपने आपको तराशने का, गढ़ने का। नए वक्त के साथ, नई उपलब्धियों के हाथ, नज़रिया बदलता है लोगों का यकीनन, आपको देखने का, आपको पढ़ने का। वक़्त भी देता है मौका आपको जरूर, बेवकूफियों पर समाज की- हँसने का, इक नया इतिहास रचने का ।। यह आपके ऊपर करता है निर्भर, वक़्त द्वारा दिए मौके का - फायदा उठाते हो कैसे? अपने आपको बनाते हो कैसे? दूजों को दिखाकर सही राह, दुनिया का सर झुकाते हो कैसे? विपरीत धारा का रुख अपनी तरफ, घुमाते हो कैसे? रखकर धैर्य अपनी मेहनत से, कुछ वर्षों की कठिन साधना के बाद- पाता है जब कोई अपना मुकाम, तो कोई नहीं कहता उसे नाकाम। गर चाहिए जीवन का अच्छा अंजाम, तो समझो आराम को हराम, करके निर्धारित आज ही लक्ष्य अपना लग जाओ इसको भेदने में तब तक, न मिले तुम्हें तुम्हारा पायदान जब तक, और ना हो ऊँचा, चाँद सितारों सा- आपका नाम।। अपने सफर पर चल रहा हूँ अकेला ही अभी, छोड़ता हूँ- ना मैं कल पर बात कभी, पहुंचूंगा जरूर मैं भी कभी- औरों की तरह कहीं न कहीं। बात होगी अब तभी, प्रशंसा करेंगे जब सत्य की सभी। मंज़िलों की तो अभी शुरुआत ही हुई है मेरे दोस्तों! आसमानों की असल ऊंची उड़ान अभी बाकी है, अभी तो नापी है बस दो ही ग़ज़ जमीं...... लेखक: संजीव कुमार बंसल ©©©©©©©© मेरी कविता: संजीव कुमार बंसल मेरी कविता: संजीव कुमार बंसल 1 *उड़ान अभी बाकी है* कभी बोलने की कीमत चुकाता है आदमी तो कभी चुप रहने की सजा पाता है आदमी। कभी ज़माने से नज़
मेरी कविता: संजीव कुमार बंसल 1 *उड़ान अभी बाकी है* कभी बोलने की कीमत चुकाता है आदमी तो कभी चुप रहने की सजा पाता है आदमी। कभी ज़माने से नज़
read moreSanjeev Kumar Bansal
मेरी कविता: संजीव कुमार बंसल 1 *उड़ान अभी बाकी है* कभी बोलने की कीमत चुकाता है आदमी तो कभी चुप रहने की सजा पाता है आदमी। कभी ज़माने से नज़रें चुराता है आदमी, तो कभी सागर की भी लहरें झुकाता है आदमी। देर से ही सही, पर ध्वजा अपनी लहराकर, एक पहचान बनाता है आदमी। सही राह दिखाकर औरों को, आंखों में सबकी, आशा की ज्योति जलाता है आदमी। कभी बोलने की कीमत चुकाई हमने, तो कभी चुप रहने की सजा पाई हमने। कभी ज़माने से नज़रें चुराई हमने, तो कभी सागर की भी लहरें झुकाई हमने। देर से ही सही, पर ध्वजा अपनी लहराकर, एक पहचान बनाई हमने। सही राह दिखाकर औरों को, आंखों में सबकी, आशा की ज्योति जलाई हमने। सब वक्त वक्त की बात है हुज़ूर, क्योंकि बुरा वक्त भी यकीनन- देता है आपको मौका भरपूर, अपने आपको तराशने का, गढ़ने का। नए वक्त के साथ, नई उपलब्धियों के हाथ, नज़रिया बदलता है लोगों का यकीनन, आपको देखने का, आपको पढ़ने का। वक़्त भी देता है मौका आपको जरूर, बेवकूफियों पर समाज की- हँसने का, इक नया इतिहास रचने का ।। यह आपके ऊपर करता है निर्भर, वक़्त द्वारा दिए मौके का - फायदा उठाते हो कैसे? अपने आपको बनाते हो कैसे? दूजों को दिखाकर सही राह, दुनिया का सर झुकाते हो कैसे? विपरीत धारा का रुख अपनी तरफ, घुमाते हो कैसे? रखकर धैर्य अपनी मेहनत से, कुछ वर्षों की कठिन साधना के बाद- पाता है जब कोई अपना मुकाम, तो कोई नहीं कहता उसे नाकाम। गर चाहिए जीवन का अच्छा अंजाम, तो समझो आराम को हराम, करके निर्धारित आज ही लक्ष्य अपना लग जाओ इसको भेदने में तब तक, न मिले तुम्हें तुम्हारा पायदान जब तक, और ना हो ऊँचा, चाँद सितारों सा- आपका नाम।। अपने सफर पर चल रहा हूँ अकेला ही अभी, छोड़ता हूँ- ना मैं कल पर बात कभी, पहुंचूंगा जरूर मैं भी कभी- औरों की तरह कहीं न कहीं। बात होगी अब तभी, प्रशंसा करेंगे जब सत्य की सभी। मंज़िलों की तो अभी शुरुआत ही हुई है मेरे दोस्तों! आसमानों की असल ऊंची उड़ान अभी बाकी है, अभी तो नापी है बस दो ही ग़ज़ जमीं...... लेखक: संजीव कुमार बंसल ©©©©©©©© मेरी कविता: संजीव कुमार बंसल मेरी कविता: संजीव कुमार बंसल 1 *उड़ान अभी बाकी है* कभी बोलने की कीमत चुकाता है आदमी तो कभी चुप रहने की सजा पाता है आदमी। कभी ज़माने से नज़
मेरी कविता: संजीव कुमार बंसल 1 *उड़ान अभी बाकी है* कभी बोलने की कीमत चुकाता है आदमी तो कभी चुप रहने की सजा पाता है आदमी। कभी ज़माने से नज़
read moreAkash Bansal
neha soni Varinder Singh Babbu , sarbjit Kaur Hajipur Gagan Sharma Kiran Shah Pushpinder Sidhu Pooja Shah @a खुदगर्जी के इस दौर में कुछ भी
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