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Sushil Chaudhary
White किसी ने सही लिखा है,,, ........... सजनवा बैरी भइले हमार, केहु ना करे बिहार के उद्धार सजनवा बैरी भइले हमार,,2,, ........... सभे स्वार्थ में अपन मगन भईल कोई ईहमा रहिल कोई उहमा गईल।। .... सजनवा बैरी भइले हमार।। .............. काई सता मे बीजी भईल बाबू जी, गरिबन के लुट लिहलस साहेब जी ,,, अंगनमा बैरी भइले हमार।। ............. सब लोगन के गांवों जिला टोप भईल बिहार के तररकी छुरा धोप गईल,।। ,,,,, अंगनमा मैली भाईले हमार,, ............. जाती वादी में सब कुछ भुला गैले गंगा मैया के भेट चढ़ा दिहले।। सजनवा मैली भइले हमार,,, .............. रग रग में भारतीयों बिहारी बा,, फुलों के बगीचा के क्यारी बा।। अगनबा बैरी भइले हमार,,, ...............,, धरती नदी ये निला आसमां कैसे बदली भैया बिहार का जहां,,।। ललनमा काहे कईला हमार,, .............. जज़्बात ज़िन्दगी में बा हिम्मत बहुत पलटे ना लोगन, होई तररकी बहुत,,।। सजनवा बैरी भइले हमार,, ©Sushil Chaudhary #goodnightimages ,, सजनवा बैरी भइले हमार #follow4like @
#goodnightimages ,, सजनवा बैरी भइले हमार #follow4like @ #कविता
read more✍ अमितेश निषाद
जबसे तू छोड़ गइल सँवरिया आवेल याद तू ही दिन रतिया बरस बरस नयना हो गइले भादो कवना परदेश बस गइल सँवरिया ना ही रात कटे ना होला बिहान हो तोहरा बिना जियान होता जवनिया कबहूँ न सोचले रहनी हथवा छोड़इब की एहू तरे बसा के प्यार के दुनिया सारा जोगावल सपना माटी कई दिहल बनल बनावल सारा मोहबत के कहनिया एक बात याद रखिह मरला के बाद भी कनवो गीला शिकवा ना रही तोहसे सँवरिया ✍️ अमितेश निषाद (सुमित ) १७/०४/२०१९ #NojotoQuote जबसे तू छोड़ गइल सँवरिया आवेल याद तू ही दिन रतिया बरस बरस नयना हो गइले भादो कवना परदेश बस गइल सँवरिया ना ही रात कटे ना होला बिहान हो तोहरा
जबसे तू छोड़ गइल सँवरिया आवेल याद तू ही दिन रतिया बरस बरस नयना हो गइले भादो कवना परदेश बस गइल सँवरिया ना ही रात कटे ना होला बिहान हो तोहरा
read moreसंगीत कुमार
फिर कब्र से निकली रक्तपिपासनी गीत गाती झूम रही मानव का खून पी रही तरह तरह का व्याधि पसार रही रंग रूप बदल रही गली गली घुम रही वात को दूषित कर रही रह रह के दम घोट रही न जाने कब जायेगी इस जगत को छोड़ेंगी जग दूषित कर मंडरा रही प्राण मानव का ले रही बस एक बात माने मास्क पहनना कभी न भुले अपना हो या पराया दूरी बना के रहें बिन मतलब न घर से निकले कोई बलवान अपने को न समझे सिर्फ एतिहात को बरते हयात अनमोल है इसे तो समझे माहुर फैल गया जग डुब रहा फिर कब्र से निकली रक्तपिपासनी गीत गाती झूम रही ©संगीत कुमार वर्णबाल #फिर कब्र से निकली रक्तपिपासनी गीत गाती झूम रही मानव का खून पी रही तरह तरह का व्याधि पसार रही रंग रूप बदल रही गली गली घुम रही वात को दूषित
#फिर कब्र से निकली रक्तपिपासनी गीत गाती झूम रही मानव का खून पी रही तरह तरह का व्याधि पसार रही रंग रूप बदल रही गली गली घुम रही वात को दूषित
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