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KP GK SAGAR GK questions in Hindi ©KP STORY CREATOR KP GK SAGAR GK questions in Hindi video ✅राज्य एवं उनके प्रमुख लोक नृत्य✅ 🔘मध्य प्रदेश ➺ पंडवानी, गणगौर नृत्य 🔘असम ➺ बिहू 🔘उत्तरप्
KP GK SAGAR GK questions in Hindi video ✅राज्य एवं उनके प्रमुख लोक नृत्य✅ 🔘मध्य प्रदेश ➺ पंडवानी, गणगौर नृत्य 🔘असम ➺ बिहू 🔘उत्तरप् #न्यूज़
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{Bolo Ji Radhey Radhey} मौसी माँ मंदिर :- 💮 रामेश्वर देउला ओडिशा के भुवनेश्वर में लिंगराज मंदिर से लगभग 2 किमी दूर स्थित है। मंदिर भगवान शिव के सम्मान में बनाया गया था। मंदिर को मौसी मां के नाम से भी जाना जाता है। यह एक पूजनीय मंदिर है और इसलिए विभिन्न स्थानों से भक्त देवता की पूजा करने आते हैं। मंदिर को रामेश्वर नाम मिला क्योंकि इसे भगवान राम ने भगवान शिव के लिए स्थापित किया था। मंदिर इतिहास और मंदिर किंवदंती :- 💮 मंदिर का इतिहास 9वीं शताब्दी का है। किंवदंती के अनुसार, जब भगवान राम लंका के राजा रावण को हराकर अयोध्या लौट रहे थे, तो देवी सीता ने भगवान राम से एक शिव लिंग स्थापित करने के लिए कहा क्योंकि वह भगवान शिव की पूजा और धन्यवाद करना चाहती थीं। इसलिए, भगवान राम ने एक शिव लिंगम का निर्माण किया। मंदिर को रामेश्वर के नाम से जाना जाता है क्योंकि यह भगवान राम द्वारा स्थापित किया गया था। मंदिर वास्तुकला :- 💮 रामेश्वर मंदिर की वास्तुकला प्राचीन कलिंग शैली से संबंधित है और इसे रेखा क्रम के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इसमें ओडिसी कला और परंपरा की कई विशेषताएं भी हैं। मंदिर एक बलुआ पत्थर की संरचना है। अन्य मंदिरों के विपरीत इसमें कई विभाजनों का अभाव है। मंदिर में एक अतिरिक्त पीठा संरचना है जो स्वतंत्र रूप से खड़ी है। रामेश्वर मंदिर का मुख पूर्व की ओर है और इसलिए सूर्य की पहली किरण मंदिर पर पड़ती है। 💮 मंदिर एक एकल हॉल से युक्त है जिसमें एक लंबा पिरामिड शिखर है। इसमें कई तह हैं और आकर्षक डिजाइनों के साथ इसे उकेरा गया है। एकल हॉल में मुख्य देवता हैं। शिव लिंगम काले पत्थर से बना है। 0.35 मीटर लंबा शिव लिंग एक योनि पीठ पर रखा गया है और यह क्लोराइट से बना है। देवी दुर्गा की एक छवि भी देखी जाती है। त्यौहार और समारोह :- 💮 मंदिर में मनाया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण त्योहार महा शिवरात्रि, मकर संक्रांति, कार्तिकी पूर्णिमा और दिवाली है। परंपरागत रूप से, भगवान लिंगराज एक बड़े रथ पर रामेश्वर देउला मंदिर में आते हैं, जिसे रुकुना रथ के नाम से भी जाना जाता है और अशोकष्टमी के दौरान चार दिनों तक रहता है, जो चैत्र महीने में राम नवमी से एक दिन पहले पड़ता है। कैसे पहुंचा जाये :- ट्रेन द्वारा: निकटतम रेलवे स्टेशन भुवनेश्वर है। ©N S Yadav GoldMine #MothersDay {Bolo Ji Radhey Radhey} मौसी माँ मंदिर :- 💮 रामेश्वर देउला ओडिशा के भुवनेश्वर में लिंगराज मंदिर से लगभग 2 किमी दूर स्थित है। मं
#MothersDay {Bolo Ji Radhey Radhey} मौसी माँ मंदिर :- 💮 रामेश्वर देउला ओडिशा के भुवनेश्वर में लिंगराज मंदिर से लगभग 2 किमी दूर स्थित है। मं #समाज
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{Bolo Ji Radhey Radhey} महाभारत का संक्षिप्त परिचय 'महाभारत' भारत का अनुपम, धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ है। यह हिन्दू धर्म के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है। यह विश्व का सबसे लंबा साहित्यिक ग्रंथ है, हालाँकि इसे साहित्य की सबसे अनुपम कृतियों में से एक माना जाता है, किन्तु आज भी यह प्रत्येक भारतीय के लिये एक अनुकरणीय स्रोत है। हिन्दू मान्यताओं, पौराणिक संदर्भो एवं स्वयं महाभारत के अनुसार इस काव्य का रचनाकार वेदव्यास जी को माना जाता है, और इसे लिखने का श्रेय भगवान गणेश को जाता है, इसे संस्कृत भाषा में लिखा गया था। इस काव्य के रचयिता वेदव्यास जी ने अपने इस अनुपम काव्य में वेदों, वेदांगों और उपनिषदों के गुह्यतम रहस्यों का निरुपण किया हैं। इसके अतिरिक्त इस काव्य में न्याय, शिक्षा, चिकित्सा, ज्योतिष, युद्धनीति, योगशास्त्र, अर्थशास्त्र, वास्तुशास्त्र, शिल्पशास्त्र, कामशास्त्र, खगोलविद्या तथा धर्मशास्त्र का भी विस्तार से वर्णन किया गया हैं। महाभारत की विशालता और दार्शनिक गूढता न केवल भारतीय मूल्यों का संकलन है बल्कि हिन्दू धर्म और वैदिक परम्परा का भी सार है। महाभारत की विशालता महानता और सम्पूर्णता का अनुमान उसके प्रथमपर्व में उल्लेखित एक श्लोक से लगाया जा सकता है, जिसका भावार्थ है, 'जो यहाँ (महाभारत में) है वह आपको संसार में कहीं न कहीं अवश्य मिल जायेगा, जो यहाँ नहीं है वो संसार में आपको अन्यत्र कहीं नहीं मिलेगा।' यह कृति प्राचीन भारत के इतिहास की एक गाथा है। इसी में हिन्दू धर्म का पवित्रतम ग्रंथ भगवद्गीता सन्निहित है। पूरे महाभारत में लगभग १,१०,००० श्लोक हैं, जो यूनानी काव्यों इलियड और ओडिसी से परिमाण में दस गुणा अधिक हैं। विद्वानों में महाभारत काल को लेकर विभिन्न मत हैं, फिर भी अधिकतर विद्वान महाभारत काल को 'लौहयुग' से जोड़ते हैं। अनुमान किया जाता है कि महाभारत में वर्णित 'कुरु वंश' १२०० से ८०० ईसा पूर्व के दौरान शक्ति में रहा होगा। पौराणिक मान्यता को देखें तो पता लगता है कि अर्जुन के पोते परीक्षित और महापद्मनंद का काल ३८२ ईसा पूर्व ठहरता है। यह महाकाव्य 'जय', 'भारत' और 'महाभारत' इन तीन नामों से प्रसिद्ध हैं। वास्तव में वेद व्यास जी ने सबसे पहले १,००,००० श्लोकों के परिमाण के 'भारत' नामक ग्रंथ की रचना की थी, इसमें उन्होने भरतवंशियों के चरित्रों के साथ-साथ अन्य कई महान ऋषियों, चन्द्रवंशी-सूर्यवंशी राजाओं के उपाख्यानों सहित कई अन्य धार्मिक उपाख्यान भी डाले। इसके बाद व्यास जी ने २४,००० श्लोकों का बिना किसी अन्य ऋषियों, चन्द्रवंशी-सूर्यवंशी राजाओं के उपाख्यानों का केवल भरतवंशियों को केन्द्रित करके 'भारत' काव्य बनाया। इन दोनों रचनाओं में धर्म की अधर्म पर विजय होने के कारण इन्हें 'जय' भी कहा जाने लगा। महाभारत में एक कथा आती है कि जब देवताओं ने तराजू के एक पासे में चारों 'वेदों' को रखा और दूसरे पर 'भारत ग्रंथ' को रखा, तो 'भारत ग्रंथ' सभी वेदों की तुलना में सबसे अधिक भारी सिद्ध हुआ। अतः 'भारत' ग्रंथ की इस महत्ता (महानता) को देखकर देवताओं और ऋषियों ने इसे 'महाभारत' नाम दिया और इस कथा के कारण मनुष्यों में भी यह काव्य 'महाभारत' के नाम से सबसे अधिक प्रसिद्ध हुआ। जय श्री कृष्ण। जय श्री राधे।। ©N S Yadav GoldMine {Bolo Ji Radhey Radhey} महाभारत का संक्षिप्त परिचय 'महाभारत' भारत का अनुपम, धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ है। यह हिन्दू धर्म
{Bolo Ji Radhey Radhey} महाभारत का संक्षिप्त परिचय 'महाभारत' भारत का अनुपम, धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ है। यह हिन्दू धर्म #पौराणिककथा
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