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Atul Sharma
*✍🏻“सुविचार"*📝 🖊️ *“24/6/2021”*🖋️ ✨ *“गुरुवार”*🌟 “मोह” आपके भीतर का एक और “शत्रु”, अब लोग “प्रेम” और “मोह” में “अंतर” नहीं समझ पाते, देखिए यदि “माता-पिता” को “संतान” से “मोह” हो जाए तो वह अपनी “संतान” को “दुःख” में,“पीड़ा” में,“चिंता” में देख ही नहीं सकती, इसलिए वो “संतान” को “बांध” कर रख देते है एक “सुरक्षित क्षेत्र” में जहां से न तो वो इस “संसार” को “देख” पाती न ही परख पाती है,न “सीख” पाती है, न “विकट परिस्थितियों” का सामना कर पाती है,इस कारण से वो “दुर्बल” बन जाती है,“अज्ञानी” बन जाती है उसका “विकास” वहीं रूक जाता है,लेकिन यहीं “प्रेम” केवल “विकास” की ओर ले जाता है, “माता-पिता” संतान से “प्रेम” करते है तो उसे छोड़ देते है कि जाकर इस “संसार” को “देखो”,“परखो”,“सीखो” कि कैसे इसके साथ “लड़ना” है, अपनी “शक्ति” स्वयं बढ़ाओ और अपना “मार्ग” स्वयं चुनो तो इस “मोह की बेड़ियों” को तोड़ दिजिए और इस “प्रेम” को अपना लिजिए... *“अतुल शर्मा”🖋️📝* ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 🖊️ *“24/6/2021”*🖋️ ✨ *“गुरुवार”*🌟 #“मोह” #“प्रेम”
*✍🏻“सुविचार"*📝 🖊️ *“24/6/2021”*🖋️ ✨ *“गुरुवार”*🌟 #“मोह” #“प्रेम” #“विकास” #“बांधना” #“सुरक्षित #“विकट #“दुर्बल”
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*📝“सुविचार"*📝 🖊️*“14/3/2021”*🖋️ 📘✨ *“रविवार”*✨📙 हम अपने “जीवन” में बाहर की परिस्थितियों से “जीत” सकते है लेकिन अंदर से अर्थात स्वयं पर “जीत” हासिल करना “कठिन” एवं “महत्वपूर्ण” होता है, “लोभ”,“मोह”,“क्रोध”,“लालच” ,“भय” यदि ये आपके भीतर है तो आप “संसार” के किसी भी “स्तर” तक पहुंच जाइए, कोई भी “जीत” हासिल कर लिजिए, आपको “संतुष्टि” नहीं मिलेगी, सर्वप्रथम “स्वयं को सुधारे” तत्पश्चात इस “संसार” में अपनी “जीत” हासिल करें... ✨ *अतुल शर्मा🖋️📝📙* ©Atul Sharma *📝“सुविचार"*📝 🖊️*“14/3/2021”*🖋️ 📘✨ *“रविवार”*✨📙 #“जीवन” #“महत्वपूर्ण”
Shri Saraswati Coaching Center,Neemrana Atul Sharma
*📝“सुविचार"*📝 🖊️*“10/2/2021”*🖋️ 📘✨*“बुधवार”*✨📙 आजकल आपने देखा होगा कि “माता-पिता” “संतान” से केवल “प्रेम” ही नहीं करते उनके “मोह” में पड़ जाते है, “विद्यालय” भी भेजते है तो सारी “सुख सुविधाओं” के साथ, “प्रयास” करते है सदैव “संतान” उनके “दृष्टि” के समक्ष ही रहे किंतु भुल जाते है एक अत्यंत महत्वपूर्ण बात कि “संतान” को एक नया “दृष्टिकोण” देना भी तो उनका “कर्तव्य” है “ग्रह त्याग” संतान के लिए “शुभ लक्ष्य” होता है, जब वो अपनो से दूर “ग्रह” से दूर रहेगा,वो इस संसार को अपनी “दृष्टि” से देखेगा,“परखेगा”, समझेगा और सबकुछ स्वयं ही सीखेगा, ये आपकी “दृष्टि” उसे नहीं “सीखा” सकती, इसका अनुभव ही उसे “सीखा” सकता है, स्मरण रखिए यदि आप चाहते है कि आपकी “संतान” का “विकास” हो तो उसे कई बार उसे “स्वयं से दूर” ले जाना पड़ता है, स्वयं “मोह” मे रहेंगे तो उसका “विकास” कभी नहीं होगा... ✨ *अतुल शर्मा🖋️📝📙* ©Shri Saraswati Coaching Center,Neemrana Atul Sharma *📝“सुविचार"*📝 🖊️*“10/2/2021”*🖋️ 📘✨*“बुधवार”*✨📙 #“माता-पिता” #“संतान”
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