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Bablu Sahu

*मेरा बचपन...*
*एक ऐसा अहसास है जिसमे डूब जाने की ख्वाहिश उम्र के हर मोड़ पर रहती है,*
*थाम लूं इस बचपन को मैं अपनी बाहों में,* *ऐसा बचपन कभी मेरा भी था, अब मन करता है कि एक बार फिर से,* *मैं इसी बचपन में खो जाऊं जहा मुझे न बीते हुए कल की फिक्र थी और न ही आने वाले कल की चिंता,मैं तो बस उस अनमोल बचपन को जिए जा रहा था,* *मेरी उन प्यारी प्यारी नटखट शैतानियों पर भी प्यार आता था मेरी मां को,*
*मेरी दादी जहां मालिश करती नजर आती है आज भी मुझे,*
*मेरे पिता खिलौने नीत नए लेकर आते थे रोज,*
*मिलकर खेला करते थे हम सब बच्चे होकर एक,*
*दादा जी रोज सवेरे रहते पास,  जिंदगी जीने की शिक्षा देते रहते थे सब मिलकर साथ,*
*मेरे चाचा भी संग मेरे बच्चे बन जाते थे,मैं जो रोने लग जाऊं कभी तो फट से मुझे मनाते थे,*
*मेरी बुआ मुझे जिंदगी जीने की राह दिखाती थी,* *जब भी मैं थक हार जाता था एक वो ही तो मुझे समझाती थी,*
*धीरे धीरे जब मै बड़ा हुआ,* 
*स्कूल जाने की शुरू मेरी तैयारी हुई,मेरा बचपन ऐसा था कि मैं कभी स्कूल जाने में पीछे नहीं रहा,*
*क्या क्या बतलाऊं मैं अपने बचपन की यादों को ,*
*जब लिखने बैठ जाऊं इन्हे मैं तो, मेरे लफ्ज़ ही कम पढ़ जायेंगे,*
*लेकिन फिर भी मैं संक्षेप में कहता हु मै,*
*सुबह उठकर वो गली मुहल्ले में सब बच्चों का साथ मिलकर खेलना,* 
*आज बहुत याद आती है उन खेलों की भी जिनको साथ मिलकर खेलते खेलते ये भी याद नही रहता था की तैयार होकर स्कूल भी जाना है,*
*और फिर शाम को स्कूल से वापस आकर बस्ता साइड में रखकर उसी गली में चले जाते थे,, जहा पर  हमारे खेलों में बांटी_भंवरा , पिट्टूल , रेस-टिप, डंडा कोलाल, नदी-पहाड़, चोर-पुलिस, अमृतविस, पिंजौला दसबीस और न जाने कितने खेल गिनाऊं मैं,*
*अब वैसा बचपन कही नजर न आता है,* 
*क्योंकि हमारे उस बचपन में मोबाइल नाम की कोई बीमारी ना थी,*
*अब और याद करूं मैं उस बचपन की जहां हमारे स्कूलों में 12बजे रेडियो कार्यक्रम चलता था,* *हमारे देवांगन सर रेडियो लेकर आते थे, और सबको गीत याद कराते थे, उस गीत के बोल आज भी जुबान पर है मेरे...*
*हे राजू हे चंदा कम लेट अस गो टू स्कूल..,*
*सभी को बराबर शिक्षा का हक मिलता था , किसी से भेदभाव न थी अपने उस बचपन में,*
*हमारे प्राइमरी स्कूल के हेडमास्टर सर अपने साथ रुल लेकर आते थे, और सभी बच्चों को जिम्मेदारी का पाठ पढ़ाते थे,*
*वो बचपन बड़ा सुहाना था,* 
*जहा से मेरे और मेरे यार HR की दोस्ती भी शुरू हुई थी,*
*और वो दोस्ती आज भी बरकरार है मेरे यार से,*
*कैसे भूलूं मैं उस बचपन को जिनमे न ज्यादा पैसों की जरूरत थी, और न ही हमारे पास समय की कोई कमी थी, हर एक पल को दिल खोलकर जीते थे,*
*जब साथ होते थे सारे दोस्त तब खुशियों कि बारिश होती थी,*
*हा और बारिश से याद आया बचपन में हम सभी का वो बारिश में भीगना, लेकिन घर जाकर मां की डांट खाना, फिर अचानक रूठ जाने पर मेरी मां का मुझे मनाना,*
*बहुत याद आते है यार आज वो सभी पल,बचपन की वो मस्तियां, वो मासूम शैतानिया, वो नादानियां गुस्ताखियां और बहुत कुछ..!*
*ऐसा था बचपन मेरा..!!*
*#वो_सुनहरे_पल*
*#याद_आते_है_आज_भी_हरपल*
*Writer___*

©Bablu Sahu #vo_suhane_din
#vo_purane_din
#Vo_mere_pass_aaye 
#cactus


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