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Ruhansh Yogi

Bambhu Kumar (बम्भू)

"कह दो इन #कुत्तों के #पिल्लों से कि इतराएँ नहीं हुक्म जब तक मैं न दूँ कोई कहीं जाए नहीं" यह #दरोगा जी थे मुँह से #शब्द झरते फूल से आ रहे थे ठेलते लोगों को अपने रूल से फिर दहाड़े, "इनको #डंडों से #सुधारा जाएगा ठाकुरों से जो भी #टकराया वो मारा जाएगा #poem #घर #समझते #साइकिल #ठिकाना #जेल #सिपाही #लाठियों #टांग #उलझना #थानेदार #पाजी

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8.
"कह दो इन कुत्तों के पिल्लों से कि इतराएँ नहीं
हुक्म जब तक मैं न दूँ कोई कहीं जाए नहीं"
 
यह दरोगा जी थे मुँह से शब्द झरते फूल से
आ रहे थे ठेलते लोगों को अपने रूल से

फिर दहाड़े, "इनको डंडों से सुधारा जाएगा
ठाकुरों से जो भी टकराया वो मारा जाएगा

इक सिपाही ने कहा, "साइकिल किधर को मोड़ दें
होश में आया नहीं मंगल कहो तो छोड़ दें"

बोला थानेदार, "मुर्गे की तरह मत बांग दो
होश में आया नहीं तो लाठियों पर टांग लो

ये समझते हैं कि ठाकुर से उलझना खेल है
ऐसे पाजी का ठिकाना घर नहीं है, जेल है"... "कह दो इन #कुत्तों के #पिल्लों से कि इतराएँ नहीं
हुक्म जब तक मैं न दूँ कोई कहीं जाए नहीं"
 
यह #दरोगा जी थे मुँह से #शब्द झरते फूल से
आ रहे थे ठेलते लोगों को अपने रूल से

फिर दहाड़े, "इनको #डंडों से #सुधारा जाएगा
ठाकुरों से जो भी #टकराया वो मारा जाएगा

Bambhu Kumar (बम्भू)

#क्षणिक #आवेश जिसमें हर #युवा तैमूर था हाँ, मगर होनी को तो कुछ और ही #मंजूर था #रात जो आया न अब #तूफ़ान वह पुर ज़ोर था भोर होते ही वहाँ का #दृश्य बिलकुल और था #सिर पे टोपी बेंत की #लाठी संभाले हाथ में एक दर्जन थे सिपाही ठाकुरों के साथ में #व्यक्ति #चोरी #सुन #झोपड़ी #मंगल #बूट #घेरकर #टकरा #माथा #पल्ला #थानेदार

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6.
क्षणिक आवेश जिसमें हर युवा तैमूर था
हाँ, मगर होनी को तो कुछ और ही मंजूर था

रात जो आया न अब तूफ़ान वह पुर ज़ोर था
भोर होते ही वहाँ का दृश्य बिलकुल और था

सिर पे टोपी बेंत की लाठी संभाले हाथ में
एक दर्जन थे सिपाही ठाकुरों के साथ में

घेरकर बस्ती कहा हलके के थानेदार ने -
"जिसका मंगल नाम हो वह व्यक्ति आए सामने"

निकला मंगल झोपड़ी का पल्ला थोड़ा खोलकर
एक सिपाही ने तभी लाठी चलाई दौड़ कर

गिर पड़ा मंगल तो माथा बूट से टकरा गया
सुन पड़ा फिर "माल वो चोरी का तूने क्या किया"... #क्षणिक #आवेश जिसमें हर #युवा तैमूर था
हाँ, मगर होनी को तो कुछ और ही #मंजूर था

#रात जो आया न अब #तूफ़ान वह पुर ज़ोर था
भोर होते ही वहाँ का #दृश्य बिलकुल और था

#सिर पे टोपी बेंत की #लाठी संभाले हाथ में
एक दर्जन थे सिपाही ठाकुरों के साथ में


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