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Deepak Kanoujia
संजीवनी सौभाग्य— % & इस जनवरी में एक शुरुवात हुई…शुरुवात हुई और संयोगवश उस शुरुवात को इसी जनवरी में होना था जैसे क्योंकि पिछली किताब भी किसी जैसे पूर्व योजना के तहत ख़तम ही हुई जनवरी के पहले हफ्ते में तो इस किताब का नंबर आया …हालांकि ये शुरू हुई और ख़तम भी हो गयी जनवरी 2022 में ही पर "संजीवनी" जैसे शब्द संजीवनी जैसी विचारधारा संजीवनी जैसे पात्र सब रहेंगे साथ जीवनपर्यन्त हर वर्ष की जनवरी में और हर महीनों में… जिस समयकाल में इसे लिखा गया उस समय इसका लिखा जाना कितना आवश्यक था यह हम आज सिर्फ अनुमान ही लगा सकते हैं क्योंकि एड्स जो विषय अब इतना सरल सा लगता है और हर किशोर तक को पता है इस शब्द का अर्थ ये शायद उस वक़्त किये गए ऐसे किये गए कई लोगों के पुरुषार्थ का ही फल है…और ये मुझे किसी को बताने की आवश्यकता नहीं लगती की प्रथम दीपक को प्रज्ज्वलित करना वो भी अज्ञानता के अंधेरों में कितना गूढ़ और दुर्गम काम है…पढ़े लिखे असवंदेनशील लोगों के विरोध के बीच किसी ज्ञानी दीप को जलाना और भी मुश्किल काम जो कि इस किताब में बखूबी दिखाया गया… "वो जब भी उदास होता था तो गीता पढता था पर जब से वो भारत आया है उसने कभी गीता नहीं पढ़ी, उसे लगा यहाँ के लोगों में ही गीता रमी हुई है" "वह कृष्ण की मूर्ति की पूजा नहीं करता था मगर कृष्ण की निश्छल पवित्र मुस्कराहट को उसने मन ही मन आत्मा की गहराइयों में बसा रखा था"
इस जनवरी में एक शुरुवात हुई…शुरुवात हुई और संयोगवश उस शुरुवात को इसी जनवरी में होना था जैसे क्योंकि पिछली किताब भी किसी जैसे पूर्व योजना के तहत ख़तम ही हुई जनवरी के पहले हफ्ते में तो इस किताब का नंबर आया …हालांकि ये शुरू हुई और ख़तम भी हो गयी जनवरी 2022 में ही पर "संजीवनी" जैसे शब्द संजीवनी जैसी विचारधारा संजीवनी जैसे पात्र सब रहेंगे साथ जीवनपर्यन्त हर वर्ष की जनवरी में और हर महीनों में… जिस समयकाल में इसे लिखा गया उस समय इसका लिखा जाना कितना आवश्यक था यह हम आज सिर्फ अनुमान ही लगा सकते हैं क्योंकि एड्स जो विषय अब इतना सरल सा लगता है और हर किशोर तक को पता है इस शब्द का अर्थ ये शायद उस वक़्त किये गए ऐसे किये गए कई लोगों के पुरुषार्थ का ही फल है…और ये मुझे किसी को बताने की आवश्यकता नहीं लगती की प्रथम दीपक को प्रज्ज्वलित करना वो भी अज्ञानता के अंधेरों में कितना गूढ़ और दुर्गम काम है…पढ़े लिखे असवंदेनशील लोगों के विरोध के बीच किसी ज्ञानी दीप को जलाना और भी मुश्किल काम जो कि इस किताब में बखूबी दिखाया गया… "वो जब भी उदास होता था तो गीता पढता था पर जब से वो भारत आया है उसने कभी गीता नहीं पढ़ी, उसे लगा यहाँ के लोगों में ही गीता रमी हुई है" "वह कृष्ण की मूर्ति की पूजा नहीं करता था मगर कृष्ण की निश्छल पवित्र मुस्कराहट को उसने मन ही मन आत्मा की गहराइयों में बसा रखा था" #Healthiswealth #bookslove #Sanjeevani #modishtro #deepakkanoujia #pradhunik #aidsawareness #kulbhushankharbanda
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