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Prashant Shakun "कातिब"
#sad_shayari #गुलज़ार #गुलज़ार_की_ग़ज़ल #प्रशांत_recites #प्रशांत_शकुन_कातिब Mysterious Girl अdiति Priya singh Richa Chaubey Pyare ji sherni
read moreManojkumar Srivastava
शेरो शायरी ©Manojkumar Srivastava #शेरो शायरी# #गुलज़ार#
Ashtvinayak
RJ SHALINI SINGH
प्रस्तुति : शालिनी सिंह ग़ज़ल - ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़साने में लेखक : गुलज़ार #गुलज़ार #रेडियो #RadioJunction #rjshalinisinghRJ राहुल द्विवेदी 'स्मित' Yog Ananta Studio #शायरी
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"गुलज़ार" तुझ से बिछड़ कर कब ये हुआ कि मर गए, तेरे दिन भी गुजर गए और मेरे दिन भी गुजर गए. . ©@thewriterVDS #गुलज़ार #तुझ से #बिछड़ कर #कब ये हुआ कि #मर गए, #तेरे #दिन भी #गुजर गए और #मेरे दिन भी गुजर गए. #Sunhera
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"गुलज़ार" दर्द हल्का है साँस भारी है जिए जाने की रस्म जारी है आप के ब'अद हर घड़ी हम ने आप के साथ ही गुज़ारी है रात को चाँदनी तो ओढ़ा दो दिन की चादर अभी उतारी है शाख़ पर कोई क़हक़हा तो खिले कैसी चुप सी चमन पे तारी है कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था आज की दास्ताँ हमारी है। "गुलज़ार" ब'अद - बाद/पश्चात क़हक़हा - खिलखिलाकर हंसना/ ठहाका शाख़ - शाखा/डाली चमन - बगीचा/फुलवारी/उद्यान तारी - छाया/फैला हुआ #गुलज़ार #गुलजार #गज़ल #गजल #rekhta #TereHaathMein
@thewriterVDS
"गुलज़ार" दर्द हल्का है साँस भारी है जिए जाने की रस्म जारी है आप के ब'अद हर घड़ी हम ने आप के साथ ही गुज़ारी है रात को चाँदनी तो ओढ़ा दो दिन की चादर अभी उतारी है शाख़ पर कोई क़हक़हा तो खिले कैसी चुप सी चमन पे तारी है कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था आज की दास्ताँ हमारी है। "गुलज़ार" ©@thewriterVDS ब'अद - बाद/पश्चात क़हक़हा - खिलखिलाकर हंसना/ ठहाका शाख़ - शाखा/डाली चमन - बगीचा/फुलवारी/उद्यान तारी - छाया/फैला हुआ #गुलज़ार #गुलजार #गज़ल #गजल #rekhta #TereHaathMein
~anshul
किताबें झाँकती हैं बंद आलमारी के शीशों से बड़ी हसरत से तकती हैं महीनों अब मुलाकातें नहीं होती जो शामें उनकी सोहबत में कटा करती थीं अब अक्सर गुज़र जाती है कम्प्यूटर के पर्दों पर बड़ी बेचैन रहती हैं क़िताबें..!! #गुलज़ार #जन्मदिन_मुबारक 💐 #लेखनी✍️ ©~anshul किताबें झाँकती हैं बंद आलमारी के शीशों से बड़ी हसरत से तकती हैं महीनों अब मुलाकातें नहीं होती जो शामें उनकी सोहबत में कटा करती थीं अब अक्सर गुज़र जाती है कम्प्यूटर के पर्दों पर बड़ी बेचैन रहती हैं क़िताबें..!! #गुलज़ार
किताबें झाँकती हैं बंद आलमारी के शीशों से बड़ी हसरत से तकती हैं महीनों अब मुलाकातें नहीं होती जो शामें उनकी सोहबत में कटा करती थीं अब अक्सर गुज़र जाती है कम्प्यूटर के पर्दों पर बड़ी बेचैन रहती हैं क़िताबें..!! #गुलज़ार #जन्मदिन_मुबारक #लेखनी✍️ #लेखनी✍️Sethi
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