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Shubham Bhardwaj

SamEeR “Sam" KhAn

#दस्तूर silence quotes reality life quotes in hindi

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जब उसने मेरा दिल तोड़ा तो मैं बहुत रोया, मैं बहुत तड़पा,
मुझे क्या पता था दिल तोड़ना, उसके शहर का एक दस्तूर था |

©SamEeR “Sam" KhAn #दस्तूर  silence quotes reality life quotes in hindi

Mansha Sharma

Sneh Lata Pandey 'sneh'

#WoRasta #दस्तूर हम निभाएंगे #चले आना #शायरी

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Kartik Singh

Rabindra Kumar Ram

*** ग़ज़ल *** *** इक तुम्हीं ही नहीं *** " तुमसे फासले कुछ यूं ही रहेंगे , मुहब्बत के वसूल कुछ यूं ही रहेंगे , वेशक तुम ना मिलना कभी ऐसे में , कहीं तुझे देख के आह भरना कबूल करेंगे , दर्दे-ए-सितम रुसवाई हैं बात पे तन्हाई हैं , #शायरी #दस्तूर #इख्तियार #मलाल #मुतअस्सिर #फ़ऱाज

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*** ग़ज़ल *** 
*** इक तुम्हीं ही नहीं *** 

" तुमसे फासले कुछ यूं ही रहेंगे ,
मुहब्बत के वसूल कुछ यूं ही रहेंगे ,
वेशक तुम ना मिलना कभी ऐसे में ,
कहीं तुझे देख के आह भरना कबूल करेंगे ,
दर्दे-ए-सितम रुसवाई हैं बात पे तन्हाई हैं ,
यूं होने को बात बेफजूल भी नहीं ,
ये मलाल फिर कुछ यूं ही ही नहीं ,
तरीका हम जो भी इख्तियार करें जीने ,
इस मुतअस्सिर का इक सबब तुम ही नहीं ,
खाली फलक का चांद जऱा तुम ही नही ,
जिसे देखते हुए मैं जिता हूं वो फ़ऱाज तुम्हीं ही नहीं ,
आईने की दस्तूर तो समझूं मैं ,
तुम्हें देखने का बहाना इक सौ दफा तुम्हीं ही नहीं . "

                           --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram *** ग़ज़ल *** 
*** इक तुम्हीं ही नहीं *** 

" तुमसे फासले कुछ यूं ही रहेंगे ,
मुहब्बत के वसूल कुछ यूं ही रहेंगे ,
वेशक तुम ना मिलना कभी ऐसे में ,
कहीं तुझे देख के आह भरना कबूल करेंगे ,
दर्दे-ए-सितम रुसवाई हैं बात पे तन्हाई हैं ,

Rabindra Kumar Ram

*** ग़ज़ल *** *** तसब्बुर *** " हम याद जऱा तुम्हें करेंगे , तेरी बात जऱा खुद से करेंगे , मुख्तलिफ मसले फिर क्या किया जाये , हम खुद में तुम्हें खोजते फिरेंगे , रास आये हयाते-ए-हिज्र #आईने #ख्यालों #शायरी #गुफ्तगू #दस्तूर #अख्तियार

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*** ग़ज़ल *** 
*** तसब्बुर ***

" हम याद जऱा तुम्हें करेंगे ,
तेरी बात जऱा खुद से करेंगे , 
मुख्तलिफ मसले फिर क्या किया जाये ,
हम खुद में तुम्हें खोजते फिरेंगे ,
रास आये हयाते-ए-हिज्र 
फिर वो बात कहां मुलाक़ात कहा ,
सवालात जो करु फिर वो बात कहां ,
मिलना हैं की बिछड़ना हैं वो ,
मुख्तलिफ सवगात हैं ,
मिल की बिछड़ना ना परे ,
ऐसे में हमारी गुफ्तगू कहा ,
सब आईने के दस्तूर पुछते हैं ,
अभी तुम से मेरा मिलना हुआ कहा ,
कोई रुख करु तो फिर कोई बात हैं ,
बुझते जज्बातों के वो दौर कहा ,
यु खोना भी तूझे खोना है ,
फिर तुझसे मैं ग़ैर इरादातन फिर मिला कहां , 
कोई बात आज भी आईने के दस्तूर लिये‌ बैठा हैं ,
मिलते तो पुछते तुम से कौन शक्ल अख्तियार किए बैठे हो ,
जो तसब्बुर के ख्यालों से तुम हु-ब-हू कहीं नहीं मिलते ."

                         --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram *** ग़ज़ल *** 
*** तसब्बुर ***

" हम याद जऱा तुम्हें करेंगे ,
तेरी बात जऱा खुद से करेंगे , 
मुख्तलिफ मसले फिर क्या किया जाये ,
हम खुद में तुम्हें खोजते फिरेंगे ,
रास आये हयाते-ए-हिज्र

Kirti Pandey

vineetapanchal

Shubham Bhardwaj

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