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Jyoti Pareek

Kh_Nazim

मुसाफिर (संघर्ष गीत)। चलता चल मुसाफ़िर चलता चल मिलेगी मंज़िल कटेगे दुःख चलता चल मुसाफ़िर चलता चल कोई न समझेगा दुख तेरा अपने पथ पर आगे बढ़ता चल आगे बढ़ता चल #peace #मकान #कविता #रिश्ते #सियासत #कर्मभूमि #khnazim #हालात_ए_जिंदगी #छोटाबसेराtwj

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मुसाफिर (संघर्ष गीत)।

चलता चल मुसाफ़िर चलता चल
मिलेगी मंज़िल कटेगे दुःख
चलता चल मुसाफ़िर चलता चल
कोई न समझेगा दुख तेरा
अपने पथ पर आगे बढ़ता चल
आगे बढ़ता चल
चलता चल मुसाफ़िर चलता चल

सियासत के फेरे में ज़िन्दगी उलझी है
तुझे ना झुकना है ना थकना है
बस चलना है
बस चलना है
चलता चल मुसाफ़िर चलता चल।।

रास्ता लंबा है पैरों  में छाले लाजमी होगे
दर्द बेपन्हा होगा देखकर,
तुझे ना टूटना है ना तू झुकना ना 
मंजिल तक पहुंचेगा सफर
बस चलना है 
बस चलना है
चलता चल मुसाफिर चल ताजा।।

जब सताने लगेंगी परिवार की बंदिशे
तू रुकना ना तू मुड़ना ना
मतलबी कहेगा जमाना सारा
याद रखनी है मंजिल तुझे अपनी 
मेहनत करेगा पसीना बहेगा
मिलेगी जिंदगी अच्छी सबको 
बस बढ़ता चल 
बस बढ़ता चल
चलता चल मुसाफिर चलता चल।।

चमक धमक देखकर 
मंज़िल से बहकना ना
याद रखना अपने हालत पुराने
टूटा मकान छूटे रिश्ते
तू भूलना ना तू चूकना ना
कर्मभूमि में अपना योगदान देता चल
चलता चल मुसाफिर चलता चल ।। मुसाफिर (संघर्ष गीत)।

चलता चल मुसाफ़िर चलता चल
मिलेगी मंज़िल कटेगे दुःख
चलता चल मुसाफ़िर चलता चल
कोई न समझेगा दुख तेरा
अपने पथ पर आगे बढ़ता चल
आगे बढ़ता चल

Kh_Nazim

.. अगल़ात ( गलती) . . . . #khnazim #शायरी #veins

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उन्होंने बड़ी नज़ाकत से पूछा :-  मैं हॉट हूं या चाय...?
हमनें भी मुस्कुराते हुए सरलता से जवाब दिया :- चाय..!
तब से एक अजीब सा कोतुहाल है उनके और हमारे बीच,
 डर-ए-जबान साथ नहीं दे रही,उन्होंने तो घर में बुला रखा है पर मेरी अगल़ात मुझे इजाजत नहीं दे रही। ..
  अगल़ात ( गलती) 

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#khnazim

Kh_Nazim

11 नंबर की बस। बहते चलते लंबे पथ पे, फर्राटा भर्ती देखो दुनिया छुप रही है। किसी ने पेट्रोल डीजल सीएनजी तो किसी ने 11 नंबर की बस पकड़ रखी है जिसके पास नहीं है देने को सेल्फी उसने सड़क की फुटपाथ जकड़ रखी है #कविता #veins #khnazim

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11 नंबर की बस।

बहते चलते लंबे पथ पे,
फर्राटा भर्ती देखो दुनिया छुप रही है।
किसी ने पेट्रोल डीजल सीएनजी
तो किसी ने 11 नंबर की बस पकड़ रखी है
जिसके पास नहीं है देने को सेल्फी 
उसने सड़क की फुटपाथ जकड़ रखी है
हाथों में बैग,संदूक और दूजे हाथ में रोटी का टिफन
तन से बच्चों को बांध रखा है पल्लू से अपने 
तपती धूप से चांद की चांदनी में संघर्ष आंखों से बहता 
पैरों के छाले बिन चप्पल चले जा रहे हैं।
रोड़ी पत्थर कंकड़ सभी जानते हैं उसके हाथों की थाप 
शायद इसलिए उनके पैरों के नीचे बिछते जा रहे हैं ।
चढ़ा ज़िन्दगी के साथ बीच मझधार में शरीर को मुर्दा 
बोलकर रेल से निकालकर स्टेशन पर लिटाया जा रहा है
बेअश्क होकर खींच रहा है बालक उसका
महज़ जो चार साल के अंदर दो महीने भूख से सताया हुआ है। 
कुत्ते की तरह हफ्ते इंसान को बस,रेल के नीचे आराम करते बताया जा रहा है।
कितनी सच्चाई है, इश्तेहार के आखबरो में 
की सुनसान सड़क पे पत्तों का पत्त झड़ गर्म हवाओं से काबू में है। 
जिन्होंने सवारी कर रखी है 11 नंबर के बस की मका तक जाने को
उनके बहते लंबे पथ ने कुछ और ही तैयारी कर रखी है। 11 नंबर की बस।

बहते चलते लंबे पथ पे,
फर्राटा भर्ती देखो दुनिया छुप रही है।
किसी ने पेट्रोल डीजल सीएनजी
तो किसी ने 11 नंबर की बस पकड़ रखी है
जिसके पास नहीं है देने को सेल्फी 
उसने सड़क की फुटपाथ जकड़ रखी है

Kh_Nazim

नजरअंदाज . . . . . . #khnazim #opensky

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अगर हर चीज-ए-गलती नज़र-अंदाज करने लगे हम 
      फिर कुछ बचेगा ही नही देखने को । नजरअंदाज
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#khnazim

Kh_Nazim

बेवफा . . . . #khnazim #leaf

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इन हवाओ की फिज़ाओ में कुछ नही रखा,
अपनी औकात याद रखो।
मोहब्बत-ए-दुश्वारियां क्या करना किसी से         
इन बेबफाओं में कुछ नही रखा। बेवफा
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#khnazim 
#leaf

Kh_Nazim

इबादत . . . . . #khnazim #peace

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चलते रहे हम सफर पे कश्तियों को देखकर
फिर किस से अपनी ज़ुस्तज़ु की तमन्ना करते 
रहबर उनके सभी थे हमें छोड़ कर
फिर क्या टूटे मंदिर-मस्ज़िदों में इबादत करते
उन्हें देख-बात करने का हक हमें छोड़ सब को दिया था।
अपने ज़मीर के मालिक शायद खुद थे हम
करते रहे वो नफरत हमसे हमें देख 
इसकी इजाज़त सबे छोड़ उन्हें थी शायद। इबादत
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#khnazim 
#peace

Kh_Nazim

बीमार . . . . #khnazim #Star

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बिखरने का अगर हक होता आदमी को,
तो सबसे ज्यादा बीमार नज़र वही आते। बीमार
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#khnazim 
#Star

Kh_Nazim

इल्जाम . . । . । #khnazim #Love

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तेरे नज़रो में हम बे-शक बेबफा सही बस,
तुम खुश रहो ...
तुम्हरा यह इल्ज़ाम भी हमारे लिए सही । इल्जाम
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#khnazim 
#Love

Kh_Nazim

कैद . . . . . #khnazim #sunrays

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पाबंदियों का इंतेज़ाम मुक्कमल  कर रख हैं
हर गली मोड़ पे सिपाहियों का पहरा धर रखा हैं
घर में तो ग़रीब कैद हैं
अमीर ने तो अपने आशियाने में पूरा इंतेज़ाम कर रखा हैं। कैद 
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#khnazim
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