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Shubham Bhardwaj
White वह हकीकत है या ख्याल सा लगता है। जो भी है बस हमख्याल सा लगता है।। ©Shubham Bhardwaj #love_shayari #वह #हकीकत #है #या #ख्याल #सा #लगता #जो #भी
Aanchal Anant
White बदली में चांद कितना सुहाना लगता है, याद आता है कोई...... और फिर उसे धीरे धीरे खुद तक आने देना, कितना सुहाना लगता है...... बदली में चांद कितना सुहाना लगता है। ©Aanchal Anant #बदली #चांद #सुहाना #लगता #कोई #धीरे_धीरे #खुदका #पोस्ट #नोजोटोहिन्दी #मोहब्बत
Divyansh Rawat
° •.¸¸.•° #❥❥❥══════❥❥❥ ♥️♥️#_________________ " तेरी आवाज़ तेरे #रूप की #पहचान है; तेरे #दिल की #धड़कन में #दिल की #जान है , ना सुनूं #जिस दिन तेरी #बातें; #लगता है #उस रोज़ ये #जिस्म बेजान #है ❥❥══❥❥ ©Divyansh Rawat #trafficcongestion
Divyansh Rawat
💕#जरा सा #झूठ ही #कह दो... ┄┅════❁ #कि तुम #बिन #दिल #नही #लगता...💕 💕 ┄═❁ #हमारा #दिल #बहल #जाए...💕 ┄┅════❁ #तो #तुम #फिर #से #मुकर #जाना.!!💕. ©Divyansh Rawat #againstthetide
shayar bhagirath
आज गांव में फिर तकरार हो गई, लगता हैं दो घड़ों की आपस में बात हो गई,, पानी तोह एक ही था मगर, घड़ों में जाते ही पानी की अलग जात हो गई,, ©shayar bhagirath #आज #गांव #में #फिर #तकरार #हो #गई, #लगता #हैं #दो घड़ों की आपस में बात हो गई,, पानी तोह एक ही था मगर, घड़ों में जाते ही पानी की अलग जात हो गई,,
Bantu Bamniya
मेरे पास 👭गोपीयाँ तो बहुत है…. पर मेरा मन मेरी👸 राधा के Siwa कही #लगता ही नही…✍ ©Bantu Bamniya #dhoop
Google sear Google sear
🚶मेरे पास 👭गोपीयाँ तो बहुत है…. पर मेरा मन मेरी👸 राधा के Siwa कही #लगता ही नही…✍ ©Google sear Google sear #janmashtami
Shubham Bhardwaj
उम्र का दौर है,सब कुछ अच्छा लगता है। जो सोच लिया, बस वही तो सच्चा लगता है।। जिंदगी में सोचा हुआ मुकाम कौन पाता है। अपनों के बीच ही तो,सपनों को गच्चा लगता है।। ©Shubham Bhardwaj #umeedein #उम्र #का #दौर #है #सब #कुछ #अच्छा #लगता
Shashi Bhushan Mishra
ज़ुदा हुई जबसे तुम ग़म का रहता दिल पर पहरा, बिन तेरे यह जीवन भी तो लगता ठहरा ठहरा, तुमसे थी रौनक मेरे घर-आंगन और जीवन में, तेरे बिना ज़िन्दगी अब हर तरफ दर्द है पसरा, तुम थी तो रातें प्रतीत होती थी अदद दीवाली, और दिवस भी लगता जैसे दिलक़श और सुनहरा, घर के चौबारे से आती थी पायल की छम-छम, हुई सभी ख़ामोश चमन लगता अब जैसे सहरा, हंसी-खुशी के फूल खिला करते थे वन-उपवन में, भूल चुका मन ख़ुशियों की आमद का सभी ककहरा, कोलाहल में मौन समावेशित है अब तो 'गुंजन', प्रेम की नाव चढ़े बच पाये भवसागर था गहरा, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' ©Shashi Bhushan Mishra #लगता ठहरा ठहरा#