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Sudhir Sky

आनन्द कुमार

Rabindra Kumar Ram

" जाने किसकी ख़्वाहिशों का तलबगार हो रहा हूं , मुहब्बत हूं प्यार से इश्क़ हो रहा हूं , छुपाते की ज़ाहिर करें अपने आरज़ू, जाने किसकी अज़िय्यत में मैं जी रहा हूं ." --- रबिन्द्र राम #तलबगार #मुहब्बत #प्यार #इश्क़ #ज़ाहिर #आरज़ू #अज़िय्यत #शायरी

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" जाने किसकी ख़्वाहिशों का तलबगार हो रहा हूं ,
मुहब्बत हूं प्यार से इश्क़ हो रहा हूं ,
छुपाते की ज़ाहिर करें अपने आरज़ू,
जाने किसकी अज़िय्यत में मैं जी रहा हूं ."

                         --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram " जाने किसकी ख़्वाहिशों का तलबगार हो रहा हूं ,
मुहब्बत हूं प्यार से इश्क़ हो रहा हूं ,
छुपाते की ज़ाहिर करें अपने आरज़ू,
जाने किसकी अज़िय्यत में मैं जी रहा हूं ."

                         --- रबिन्द्र राम
#तलबगार #मुहब्बत #प्यार #इश्क़ #ज़ाहिर #आरज़ू #अज़िय्यत

Rabindra Kumar Ram

*** ग़ज़ल *** *** नुमाइश *** " क्यों ना तेरा तलबगार हो जाऊं कहीं मैं , मैं मुख्तलिफ मुहब्बत हूं इस दस्तूर से , क्यों ना तेरा बार बार मुसलसल हो जाऊं मैं , खुद को तेरी आदतों में कितना मशग़ूल किया जाये , तुझमें में मसरुफ़ कहीं जाऊं मैं , #कविता #ख्यालों #आरज़ू #तसव्वुर #हिज़्र #रफ़ाक़त

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*** ग़ज़ल *** 
*** नुमाइश *** 

" क्यों ना तेरा तलबगार हो जाऊं कहीं मैं ,
मैं मुख्तलिफ मुहब्बत हूं इस दस्तूर से ,
 क्यों ना  तेरा बार बार मुसलसल हो जाऊं मैं ,
खुद को तेरी आदतों में कितना मशग़ूल किया जाये ,
तुझमें में मसरुफ़ कहीं जाऊं मैं ,
बात जो भी फिर कहा तक जार बेजार , 
तेरे ज़िक्र की नुमाइश की पेशकश की जाये ,
लो ज़रा सी इबादत कर लूं भी मैं ,
इश्क़ की बात हैं मुहब्बत कर लूं मैं ,
तेरे ख्यालों की नुमाइश क्या ना करता मैं ,
ज़र्फ़ तेरी जुस्तजू तेरी आरज़ू तेरी ,
फिर इस हिज़्र में फिर किस की ख़्वाहिश करता मैं ,
उल्फते-ए-हयात  एहसासों को अब जिना आ रहा मुझे ,
जो तेरे ख्यालों के तसव्वुर से रफ़ाक़त जो कर रहा हूं मै . "

                           --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram *** ग़ज़ल *** 
*** नुमाइश *** 

" क्यों ना तेरा तलबगार हो जाऊं कहीं मैं ,
मैं मुख्तलिफ मुहब्बत हूं इस दस्तूर से ,
 क्यों ना  तेरा बार बार मुसलसल हो जाऊं मैं ,
खुद को तेरी आदतों में कितना मशग़ूल किया जाये ,
तुझमें में मसरुफ़ कहीं जाऊं मैं ,

Rabindra Kumar Ram

" यूं तो होने का मैं भी हूं , यूं तो होने का तुम भी हो , फिर किस में किसकी वजूद तलाश की जाये , तलबगार हैं कि बात जाहिर हो तो हो कैसे , रुख ये भी हैं बात जरा जाहिर ये भी हैं , खुद में खुद से किसकी मौजूदगी तलाश की जाये . " --- रबिन्द्र राम #शायरी #जऱा

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" यूं तो होने का मैं भी हूं ,
यूं तो होने का तुम भी हो ,
फिर किस में किसकी वजूद तलाश की जाये ,
तलबगार हैं कि बात जाहिर हो तो हो कैसे  ,
रुख ये भी हैं बात जरा जाहिर ये भी हैं ,
खुद में खुद से किसकी मौजूदगी तलाश की जाये . " 

                            --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram " यूं तो होने का मैं भी हूं ,
यूं तो होने का तुम भी हो ,
फिर किस में किसकी वजूद तलाश की जाये ,
तलबगार हैं कि बात जाहिर हो तो हो कैसे  ,
रुख ये भी हैं बात जरा जाहिर ये भी हैं ,
खुद में खुद से किसकी मौजूदगी तलाश की जाये . " 

                            --- रबिन्द्र राम

Rabindra Kumar Ram

" यूं तो होने का मैं भी हूं , यूं तो होने का तुम भी हो , फिर किस में किसकी वजूद तलाश की जाये , तलबगार हैं कि बात जाहिर हो तो हो कैसे , रुख ये भी हैं बात जरा जाहिर ये भी हैं , खुद में खुद से किसकी मौजूदगी तलाश की जाये . " --- रबिन्द्र राम #शायरी #जऱा

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Rabindra Kumar Ram

" इक तु हैं जा चुकी हैं, देख मैं तेरा तलबगार अब भी हूँ, रास आये मुझे कोई और भी महज़ ये बात कैसी, मगर मैं तेरे ‌दिद का मुंतज़िर अब भी हूँ ." --- रबिन्द्र राम #शायरी

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" इक तु हैं जा चुकी हैं, 
देख मैं तेरा तलबगार अब भी हूँ, 
रास आये मुझे कोई और भी महज़ ये बात कैसी, 
मगर मैं तेरे ‌दिद का मुंतज़िर अब भी हूँ ." 

                    --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram " इक तु हैं जा चुकी हैं, 
देख मैं तेरा तलबगार अब भी हूँ, 
रास आये मुझे कोई और भी महज़ ये बात कैसी, 
मगर मैं तेरे ‌दिद का मुंतज़िर अब भी हूँ ." 

                    --- रबिन्द्र राम

Rabindra Kumar Ram

" कुछ कर फैसला की मैं तेरा तलबगार आखिर कब तक रहु, हयाते-ए-हिज्र की बात मुनासिब और मुमकिन हो तो हो कैसे . " --- रबिन्द्र राम #फैसला #तलबगार #हयाते-ए-हिज्र #मुनासिब #मुमकिन #शायरी

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" कुछ कर फैसला की मैं तेरा तलबगार आखिर कब तक रहु,
हयाते-ए-हिज्र की बात मुनासिब और मुमकिन हो तो हो कैसे . " 

                    --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram " कुछ कर फैसला की मैं तेरा तलबगार आखिर कब तक रहु,
हयाते-ए-हिज्र की बात मुनासिब और मुमकिन हो तो हो कैसे . " 

                    --- रबिन्द्र राम

#फैसला #तलबगार
#हयाते-ए-हिज्र #मुनासिब #मुमकिन

Shubham Bhardwaj

Shubham Bhardwaj

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