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Bazirao Ashish
तन संन्यासी! मन संन्यासी! धन संन्यासी! लक्ष्य संन्यासी! भविष्य संन्यासी! संन्यासेन लब्धे मोक्ष:! ●आशीष●द्विवेदी● ©Bazirao Ashish तन संन्यासी! मन संन्यासी! धन संन्यासी! लक्ष्य संन्यासी!
तन संन्यासी! मन संन्यासी! धन संन्यासी! लक्ष्य संन्यासी! #ज़िन्दगी
read moreSandeep Kumar
समय हो तो मिलना मुझसे, मैं तुम्हें अपनी डायरी पढ़वाऊंगा तुम मिलना अपनी भीतर के राधा से मैं जिसका सन्यासी कहलऊंगा ©Sandeep Kumar तेरा संन्यासी
तेरा संन्यासी #शायरी
read moreSandeep Kumar
मुसीबत है तेरा झुमका जो गालों पर झूल गया कहने आया था मान की बात और भूल गया ©Sandeep Kumar तेरा संन्यासी
तेरा संन्यासी #शायरी
read moreMarutishankar Udasi
सत्य हुं मै मुझे खुद मे ढुढों सुख हुं मै मुझे त्याग मे देखो संपुर्ण हुं मै विश्वाश से आओ यही जीवन है उदासी बन जा संन्यासी ©Marutishankar Udasi बन जा संन्यासी
बन जा संन्यासी #ज़िन्दगी
read moreSK Poetic
स्वामी दयानंद गिरि एक ब्रह्मनिष्ठ संत थे । वे प्रायः कहा करते थे कि जो व्यक्ति गरीबों व असहायों से प्रेम करता है, भगवान् उसे अपनी कृपा का अधिकारी बना देते हैं । स्वामीजी विरक्तता की साक्षात् मूर्ति थे। चौबीस घंटे में एक बार किसी घर से भिक्षा प्राप्त करते थे। शेष समय साधना व लोगों को सदाचार का उपदेश देने में लगाते । एक बार किसी मजदूर ने उन्हें नंगे पाँव विचरण करते देखकर कपड़े के जूते भेंट किए। उन्होंने उस निश्छल भक्त के जूते खुशी-खुशी स्वीकार कर लिए कुछ वर्ष बाद उनका एक भक्त नए जूते लेकर आया तथा प्रार्थना की कि पुराने जूते उतारकर उसके लाए जूते पहन लें। स्वामीजी ने जवाब दिया, ‘इन जूतों में मुझे गरीब मजदूर के प्रेम की झलक दिखाई देती है। मैं इन्हें तब तक पहनता रहूँगा, जब तक ये पूरी तरह फट न जाएँ।’ एक बार उनके भक्त शिवरात्रि पर भंडारा कर रहे थे । स्वामीजी प्रवचन में कह रहे थे कि वही सत्कर्म सफल होता है, जिसमें गरीबों के खून-पसीने की कमाई लगती है। अचानक उन्होंने देखा कि दरवाजे पर कुछ लोग एक वृद्धा को हाथ पकड़कर बाहर निकाल रहे हैं। स्वामीजी ने कहा, ‘माई को आदर सहित यहाँ लाओ। ‘ वृद्धा आई तथा बोली, ‘महाराज, मेरे ये दो रुपए भंडारे में लगवा दें। ये लोग नहीं ले रहे हैं। ‘ स्वामीजी ने भक्त को पास बुलाया और बोले, ‘इन दो) रुपए का नमक मंगवाकर भंडारे में लगवा दो । खून-पसीने की ईमानदारी की कमाई के नमक से भंडारा भगवान् का प्रसाद बन जाएगा।’ ©S Talks with Shubham Kumar संन्यासी की दया भावना #fullmoon
Abhimanyu Dwivedi
🌱🌱 संन्यास 🌱🌱 सं = संपूर्ण सत्य , (शिवोsहं) न्यास = में अवस्थित हो जाना अर्थात सत्य में अवस्थित हो शिव हो जाना ** स्वयं से स्वयंभू की ओर ** 🌱अभिमन्यु ( मोक्षारिहन्त )🌱 🌷🌱🌷 ©Abhimanyu Dwivedi 🌱🌱 संन्यास 🌱🌱
🌱🌱 संन्यास 🌱🌱 #विचार
read moreRanjan Saha
ajib sa istafak hai.... aaj mere sehar ka haal mere jaisa hai. kya 🙇♂ chal raha hain na🙅♂ use pata 💁♂ na muje🤷♂ #Nature Neeraj Mishra Prashant Bhim Shankar शुभेंद्र संन्यासी Bigboss _A_J