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VeRbAl ThInKeR
महोबत मै तुझे बेइंताह बारम्बार करूंगा,पहाड़ का ठाकुर हूं,थोड़ा सा मंचला हूं मगर साथ तेरा मिले तो दिल्ली क्या पूरे हिन्दुस्तान् को ही पिथौरागढ़ बना दूंगा !! ©VeRbAl ThInKeR ठाकुर साहब
ठाकुर साहब #Poetry
read moresaurabh singh
शोर और ख़ामोशी खामोश ही रहने दिया करो मुझे यकीन मानो मैं जवाब बहुत बुरा देता हूँ राजपूत सौरभ सिंह( ठाकुर ) ठाकुर साहब
ठाकुर साहब
read moreAlok Singh
तू नया नया है बेटे ।।मैने खेल पुराने खेले है। जिन लोगो पे, तू उछलता है ।।वो चेले मेरे पुराने है ठाकुर साहब
ठाकुर साहब
read moreRakshit S Vatas
मुझे ये गम नहीं महफिल में होके तन्हा हूँ मुझे ये दुःख हैं तेरे होते हुए मैं तन्हा हूँ ठाकुर साहब.....
ठाकुर साहब.....
read moreRakshit S Vatas
वेदना के गीत पूरे हो रहे हैं लग रहा है सुर सजाने आओगे तुम, या कभी दो बात कहने तो नहीं पर कुछ नहीं तो मुस्कुराने आओगे तुम मैं नहीं हूँ तुम नहीं हो तो यहाँ फिर आज किसकी आँख का जल में विलय है, रो दिए हैं कुछ पुराने पत्र यानी ये हमारे प्रेम का अंतिम समय है इस विरह की भी घड़ी में सोचता हूँ क्या मिलन के गीत गाने आओगे तुम वेदना के गीत पूरे हो रहे हैं लग रहा है सुर सजाने आओगे तुम ये ज़माने को पता है दूर हो पर ये किसे आभास है के तुम यहीं हो, सिर्फ उतना याद है के मैं कहाँ हूँ और इतना याद है के तुम नहीं हो ये बताओ तो सही मेरे नहीं पर गीत अपने गुनगुनाने आओगे तुम? वेदना के गीत पूरे हो रहे हैं लग रहा है सुर सजाने आओगे तुम ठाकुर साहब......
ठाकुर साहब......
read moreठाकुर सरदारी जैत
तुम खुश किस्मत हो जो हम तुमको चाहते हैं....! वरना हम तो वो हैं जिनके ख्वाबों में भी लोग इजाजत लेकर आते है...! जय ~राजपूताना^!! ठाकुर साहब जैत
ठाकुर साहब जैत
read moreRakshit S Vatas
दृढ़ रख संकल्पों को अपने सच में परिणत होंगे सपने इतनी जल्दी हार न मानो इस जीवन को भार न मानो निष्फल हुए प्रयासों को ही विधि का अन्तिम सार न मानो भागीरथी प्रयत्नों को तुम और अभी आगे बढ़ने दो दुखते पाँवों को ये सबसे दुर्गम घाटी तो चढ़ने दो निश्चित मानो नाम तुम्हारा मंज़िल स्वयं लगेगी जपने दृढ़ रख संकल्पों ............... यदि मन हारा समझो हारे मन के जीते जीत है प्यारे धारण धैर्य करो तो थोड़ा हो जाएंगे वारे-न्यारे रजनी को ढलना ही होगा होगी सुखद सुबह की दस्तक कितने दिनों रहेगा कोई आखि़र पीड़ाओं का बंधक सुदिनों की जागृति फिर होगी दुर्दिन पुनः लगेंगे झपने दृढ़ रख संकल्पों ................ कोई साथ नहीं देता है दुख में हाथ नहीं देता है किंकर्तव्य-विमूढ़ों को वर कोई नाथ नहीं देता है पक्का अगर इरादा हो तो आशंकाएँ धुल जाती हैं साधें एकलव्य सी हों तो सारी राहें खुल जाती हैं कुंदन सा दमकेगा जीवन संघर्षों में देना तपने दृढ़ रख संकल्पों ................ ठाकुर साहब,
ठाकुर साहब,
read moreठाकुर मृत्युंजय सिंह
तू दादागिरी की बात करता है हम तो Thakur लोग है. अगर जंगल मे भी पेर रख दे तो शेर भी आकर बोलता है पाय लागु Thakur साहब आज केसे पधारना हुआ. ##ठाकुर साहब##
##ठाकुर साहब##
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