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Haleema Ali
काश ,,,,!! ऐसा हो जाए,,,👏 👶बाल्यावस्था का प्रेम 👴वृद्घावस्था तक साथ निभाए,,, हलीमा😋 vrdhawastha vs balyawasth #रामलीला
vrdhawastha vs balyawasth #रामलीला
read moreMohd Hasnain
ज़िंदगी में तुम ही तुम हैं.. आँखों में, खवबो में, साँसो में, और इस दिल में……. ज़िंदगी में तुम ही तुम हैं.. आँखों में, खवबो में, साँसो में, और इस दिल में…….
ज़िंदगी में तुम ही तुम हैं.. आँखों में, खवबो में, साँसो में, और इस दिल में…….
read moreMannu
रात में सपनो में उड़ता हु में उसको ढूंढने ,,, A - दोस्त उसका आसियाना तक नही मिलता ,,, फकर है उसकी मोहब्बत पर मेरे को इस तरह पूरी रात उसको ढूंढने के बाद भी वो जज्बात में भी नही है ,,, म@nNu सपनो में उड़ता हु में
सपनो में उड़ता हु में
read morekumar vishesh
दीप तू है में बस प्रकार हूँ अधेरी रातों का सपन्न का तू असास है #NojotoQuote में
में
read moreRaj Gurjar(फौजी)
हां ,मैं एक रावण हूँ ! वो रावण जिसने अपनी बहन के अपमान का बदला लेने के लिए मां सीता का हरण किया था , वो रावण जिसने अपनी बहन के लिए भगवान श्री राम से युद्ध किया था, हां, में मानता हूँ कि वो सब पाप था ,पर , क्या अपनी बहन के सम्मान की रक्षा करना पाप है ? अगर तुम,अब भी मुझे पापी कहते हो, तो , में आज भी हर शूर्पनखा का भाई हूँ , हां, में वही त्रेतायुगी दशानन रावण हूँ !! #NojotoQuote में रावण हूँ में रावण हूँ !!
में रावण हूँ में रावण हूँ !!
read morekarishma singh
माँ तू वो दुआ है, जिसमें खुदा है। माँ तू वो हवा, जिसने इस बंजर सी जमीन को हरा-भरा बनाया है।। माँ दुआ में,माँ हवा में
माँ दुआ में,माँ हवा में
read moreSurendra Moond Choudhary
कण कण में विष्णु बसें जन जन में श्रीराम प्राणों में माँ जानकी मन में बसे हनुमान।
कण कण में विष्णु बसें जन जन में श्रीराम प्राणों में माँ जानकी मन में बसे हनुमान।
read moreAmit Gupta
मानवता किताबों में या बातों में हमने पढ़ा, प्रबुद्धों से संदेश पाया, इंसान ओ जो इंसान के काम आया । यहां दीन, दुखी, बेवश को अनदेखा किया, जब तक कि उसका अंत समय न आया । मानवता क्या हो तू सिर्फ किताबों या बातों में, मैंने न कभी देखा तुझे रूबरू जरूरी हालातों में । जिसने दुश्मनों से प्रेम करने का संदेश दिया, मानवों ने उसे कब का स्वर्गवासी बनाया । जो मानवता की बात करे, दूर किया या दूरी बनाया, ऐसे इंसान को कब - कहां - किसने अपनाया । मानवता क्या हो तू सिर्फ किताबों या बातों में, मैंने न कभी देखा तुझे रूबरू जरूरी हालातों में । न कोई किसी दुखी का दुख बांटता, जिसको देखो ओ बस नश्तर चुभाता । हां झूठा दिखावा कर मूर्ख है बनाता, जरूरत पड़ने पर है असली रूप दिखाता । मानवता क्या हो तू सिर्फ किताबों या बातों में, मैंने न कभी देखा तुझे रूबरू जरूरी हालातों में । मैंने देखा लोग बारम्बार तमाशाबीन हुए, झुलसता रहा मानवता, मूकदर्शक प्रवीण हुए । फिर झूठे दिलासे और मानवता का बाज़ार हुए, फरेब का नकाब पहन, समर्थन पुरजोर किए । मानवता क्या हो तू सिर्फ किताबों या बातों में, मैंने न कभी देखा तुझे रूबरू जरूरी हालातों में । न देखा कभी इंसान को इंसान से मिलते, जब भी देखा, देखा स्वार्थियों को इंसान बनते । यूं कहे तो जरूरत से ही लोग हैं एक दूसरे से मिलते, वरना ये कभी दूसरों से गलती से भी न मिलते । मानवता क्या हो तू सिर्फ किताबों या बातों में, मैंने न कभी देखा तुझे रूबरू जरूरी हालातों में । कहते हैं मानव प्रकृति की सर्वोत्तम कृति है, पर गर कहूं बिन मानवता सबसे बड़ी विकृति है । मानव जन्मे है पर अदृश्य मानवता की प्रकृति है, करुणा नहीं, हमदर्दी नहीं, क्या यही मानवता की अभिवृत्ति है । मानवता क्या हो तू सिर्फ किताबों या बातों में, मैंने न कभी देखा तुझे रूबरू जरूरी हालातों में । Poetry : मानवता किताबों में या बातों में
Poetry : मानवता किताबों में या बातों में
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