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Asim K Thoughts
सुन वह गोदरेज की कंपनी में नौकर है और गोदरेज के लोग हमारे यहाँ नौकर बन कर आते हैं। 😒😒😏 सुन वह गोदरेज की कंपनी में नौकर है और गोदरेज के लोग हमारे यहाँ नौकर बन कर आते हैं। 😒😒😏
सुन वह गोदरेज की कंपनी में नौकर है और गोदरेज के लोग हमारे यहाँ नौकर बन कर आते हैं। 😒😒😏 #Quote
read morejamshed mahir
कब मैनें कहा तुम से वो प्यार नही करती वो प्यार नही करती है इकरार नहीं करतीं जमशेद माहिर
कब मैनें कहा तुम से वो प्यार नही करती वो प्यार नही करती है इकरार नहीं करतीं जमशेद माहिर #nojotophoto
read morezafar
सोशल वर्कर के की एक टीम आज शाहीन बाग के प्रोटेस्ट में हिस्सा लिया जिस में शामिल थी तनवीर जहां-नुजहत-शबनम-भाई जमशेद-जफर इमाम
सोशल वर्कर के की एक टीम आज शाहीन बाग के प्रोटेस्ट में हिस्सा लिया जिस में शामिल थी तनवीर जहां-नुजहत-शबनम-भाई जमशेद-जफर इमाम #nojotophoto
read moreMohd Hasnain
● *हम वो आखरी लोग हैं*, जिन्होंने गोदरेज सोप की गोल डिबिया से साबुन लगाकर शेव बनाई है। जिन्होंने गुड़ की चाय पी है। काफी समय तक सुबह काला या लाल दंत मंजन या सफेद टूथ पाउडर इस्तेमाल किया है। ● *हम वो आखरी लोग हैं*, जिन्होंने गोदरेज सोप की गोल डिबिया से साबुन लगाकर शेव बनाई है। जिन्होंने गुड़ की चाय पी है। काफी समय तक सुबह काला या
● *हम वो आखरी लोग हैं*, जिन्होंने गोदरेज सोप की गोल डिबिया से साबुन लगाकर शेव बनाई है। जिन्होंने गुड़ की चाय पी है। काफी समय तक सुबह काला या
read morePankaj Singh Chawla
बैठी थी पास मेरे बांह से बांह टकरा गई, हुआ जो स्पर्श उनकी कोमल त्वचा का, मेरे रोंगटे खड़े कर दिल में प्यार जगा गई... (Read in caption for fun) बैठी थी पास मेरे बांह से बांह टकरा गई, हुआ जो स्पर्श उनकी कोमल त्वचा का, मेरे रोंगटे खड़े कर दिल में प्यार जगा गई, उठ के जाने लगी तो पूछ बैठ
बैठी थी पास मेरे बांह से बांह टकरा गई, हुआ जो स्पर्श उनकी कोमल त्वचा का, मेरे रोंगटे खड़े कर दिल में प्यार जगा गई, उठ के जाने लगी तो पूछ बैठ #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #collabwithme #pchawla16 #aestheticthoughts #yqaestheticthoughts #ATrosebg28
read moreHarry Banarasiya
हम वो आखरी पीढ़ी हैं.......... #यादें #आखरी #बचपनकीयादें *हम वो आखरी पीढ़ी हैं*, जिन्होंने कई-कई बार मिटटी के घरों में बैठ कर परियों और राजाओं की कहानियां सुनीं, जमीन पर बै
#यादें #आखरी #बचपनकीयादें *हम वो आखरी पीढ़ी हैं*, जिन्होंने कई-कई बार मिटटी के घरों में बैठ कर परियों और राजाओं की कहानियां सुनीं, जमीन पर बै
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